नयी दिल्ली, 12 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के एक मामले में शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को चिकित्सा आधार पर सोमवार को छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी।
दिल्ली आबकारी नीति को अब रद्द किया जा चुका है।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने पाया कि आरोपी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा और देखभाल की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त और प्रभावी उपचार पाने का अधिकार है।
अदालत ने कहा कि जमानत देने के विवेक का इस्तेमाल केवल अंतिम उपाय के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (महेंद्रू) को 10,00,000 रुपये के एक निजी मुचलके के साथ समान राशि की दो जमानत प्रस्तुत करने पर छह सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है और स्वास्थ्य का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के सबसे महत्वपूर्ण आयामों में से एक है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना पर्याप्त और प्रभावी इलाज कराने का अधिकार है।’’
अदालत ने निर्देश दिया कि महेंद्रू को तत्काल जेल से रिहा किया जाए।
अंतरिम जमानत अवधि समाप्त होने के बाद, वह 25 जुलाई को शाम पांच बजे तक या इससे पहले निचली अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे।
अदालत ने कई शर्तें भी लगाईं, जिनमें यह भी शामिल है कि वह अस्पताल और अपने घर से बाहर नहीं जायेंगे और देश भी नहीं छोड़ेंगे।
अदालत ने यह भी कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि आरोपी ने उसे दी गई पिछली अंतरिम जमानत का दुरुपयोग किया।
अभियुक्त के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा पेश हुए और कहा कि वह जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं और पांच बार अस्पताल में भर्ती हुए थे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि याचिकाकर्ता की हालत स्थिर पाई गई है और उनका दर्द काफी कम हो गया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी आबकारी नीति के कथित रूप से उल्लंघन के प्रमुख लाभार्थियों में से एक है।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि कथित अनियमितताओं और उल्लंघनों के कारण महेंद्रू ने लगभग 50 करोड़ रुपये कमाये।
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के संबंधित प्रावधानों के तहत महेंद्रू के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है।
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के अनुसार आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर सितंबर, 2022 के अंत में इस नीति को रद्द कर दिया था।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस मामले में एक आरोपी हैं।
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