नयी दिल्ली, तीन अप्रैल दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2017 में दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म के लिए एक नाबालिग को दोषी ठहराया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत नाबालिग आरोपी के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे।
नाबालिग आरोपी पर सात और करीब चार वर्ष की बच्चियों से दुष्कर्म करने के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
अदालत ने मंगलवार को पारित एक आदेश में कहा, ''निर्णायक रूप से ऐसा कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष बिना किसी संदेह के आरोपों को साबित करने में सफल रहा कि आरोपी ने दोनों पीड़ित बच्चियों से दुष्कर्म के अपराध को अंजाम दिया था।''
राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजय दहिया उपस्थित हुए।
अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) ने तय समय के भीतर पीड़ित बच्चियों के बयान दर्ज नहीं किये और न ही उनमें से एक के फटे हुए कपड़े जब्त किये लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अपराध नहीं हुआ।
अदालत के मुताबिक, ''आईओ की तरफ से हुई लापरवाही के कारण अन्य सबूतों को व्यर्थ नहीं करार दिया जा सकता।''
अदालत ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह पता चले कि पीड़ित बच्चियों को आरोपों के बारे में कुछ सिखाया गया हो। अदालत ने कहा कि बच्चियों की चिकित्सा जांच से उनके बयानों की पुष्टि होती है। अदालत के मुताबिक, जिस दिन अपराध हुआ उसी दिन बच्चियों की चिकित्सा जांच कराई गयी थी।
अदालत ने कहा, ''दोनों बच्चियों की चिकित्सीय जांच केवल एक ही बात की ओर इशारा करती हैं कि दोनों के साथ जबरन दुष्कर्म किया गया था।''
अदालत के मुताबिक, बच्चियों में से एक ने अदालत में आरोपी की पहचान नहीं की लेकिन उसकी गवाही से नदारद इस संदर्भ को फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट ने पूरा कर दिया।
फॉरेंसिक जांच के अनुसार, बच्ची का खून आरोपी के पायजामा पर पाया गया था।
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