नयी दिल्ली, 28 दिसंबर दिल्ली की एक अदालत ने 2018 के हत्या के प्रयास और आपराधिक धमकी के एक मामले में तीन आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोप साबित करने में ‘‘बुरी तरह विफल’’ रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा ने इस मामले की सुनवाई की। इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत मालवीय नगर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी ने 14 मई, 2018 को पीड़ित के घर के सामने हवा में गोलियां चलाईं और उसे धमकाया।
अदालत ने 16 दिसंबर को जारी आदेश में कहा कि पीड़ित और शिकायतकर्ता (पीड़ित के रिश्तेदार) अभियोजन पक्ष के मामले के मुख्य गवाह थे लेकिन वे अपने बयान से मुकर गए और उन्होंने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘जिरह के दौरान भी अभियोजन पक्ष के गवाह आरोपियों को इस मामले के अपराधियों के रूप में पहचानने में विफल रहे।...’’
उसने कहा कि शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपों को स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि अभियोजन पक्ष कोई ठोस सबूत न होने के कारण अपना मामला साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है इसलिए आरोपियों मनोज हथौड़ी, निखिल और राकेश उर्फ राका को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है।’’
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