अहमदाबाद, 19 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारतीय रक्षा बलों का देश में बने अधिकतर उपकरणों को खरीदने का निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में कुछ निर्माण कंपनियों के एकाधिकार के बावजूद भारत ने अपना स्थान बनाया है। उन्होंने डिफेंस एक्सपो 2022 का उद्घाटन करने के बाद कहा कि यह भारत में निर्मित रक्षा सामग्री पर बढ़ते विश्वास का भी प्रतीक है, जिसका उद्देश्य देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन करना है।
उन्होंने कहा कि भारत से रक्षा निर्यात 2021-22 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और ‘‘आने वाले समय में हमने इसे 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।’’
कार्यक्रम में मोदी ने भारत-पाकिस्तान सीमा के पास उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले के दीसा में एक नये हवाई अड्डे की आधारशिला भी रखी और कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी केंद्र के रूप में उभरेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘देश बहुत आगे निकल गया है क्योंकि पहले हम कबूतर छोड़ते थे और अब हम चीतों को छोड़ते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा वैश्विक प्राथमिकता के रूप में उभरी है।
उन्होंने कहा कि भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में भविष्य के अवसरों को देखते हुए अपनी तैयारियां भी बढ़ानी होंगी। समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी ने ‘सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन’ (सागर) के अपने दृष्टिकोण के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भागीदारी समावेशी है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर वैश्विक कारोबार तक, समुद्री सुरक्षा वैश्विक प्राथमिकता के रूप में उभरी है। वैश्विकरण के युग में मर्चेंट नेवी की भूमिका भी विस्तारित हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत से दुनिया की उम्मीदें बढ़ी हैं और मैं वैश्विक समुदाय को आश्वस्त करता हूं कि भारत इन्हें पूरा करेगा। इसलिए यह डिफेंस एक्सपो भारत के प्रति वैश्विक भरोसे का भी प्रतीक है।’’
मोदी ने अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों के बारे में कहा कि यह ‘‘समय की कसौटी पर खरे साबित हुए भरोसे पर आधारित है जो समय के साथ और गहराता जा रहा है और नए आयामों को छू रहा है।’’
अफ्रीका और गुजरात के बीच पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने याद किया कि अफ्रीका में पहली रेलवे लाइन में कच्छ के लोगों की भागीदारी थी। मोदी ने कहा कि रक्षा बल बुधवार को 101 और वस्तुओं की सूची जारी करेंगे जिन्हें केवल भारत में खरीदा जा सकता है। इससे रक्षा संबंधी 411 वस्तुएं स्थानीय स्तर पर ही खरीदी जा सकेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे भारतीय रक्षा उद्योग को बहुत बढ़ावा मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि यह फैसला भारत की आत्मनिर्भरता की क्षमता को भी दिखाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में आठ गुना बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया भारतीय प्रौद्योगिकी पर भरोसा कर रही है क्योंकि हमारे सशस्त्र बलों ने अपनी क्षमताओं को साबित किया है। हम 75 से अधिक देशों को रक्षा सामग्री एवं उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीतियों, सुधारों और व्यापार सुगमता ने इस मुकाम तक पहुंचने में बड़ी भूमिका निभाई है। भारत ने अपने रक्षा बजट का 68 प्रतिशत भारतीय कंपनियों के लिए निर्धारित किया है। यह एक बड़ा निर्णय है और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रगतिशील नेतृत्व के कारण संभव हुआ है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में बने अधिकांश उपकरणों को खरीदने का भारतीय रक्षा बलों का निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दिखाता है और यह भारत में निर्मित रक्षा सामग्री पर बढ़ते विश्वास का प्रतीक भी है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘400 से अधिक ऐसे उपकरण होंगे जिन्हें सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ (पहल) के तहत खरीदा जाएगा। कल्पना कीजिए इतना बड़ा बजट भारतीय कंपनियों का आधार मजबूत करेगा।’’
इस क्षेत्र में भविष्य के अवसरों के बारे में मोदी ने कहा कि भारत को अपनी तैयारियों को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे रक्षा बलों को नए-नए नवोन्मेष के अवसरों को तलाशना होगा।’’ उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भी अन्य देशों के साथ लाभ साझा कर भारत की उदार सोच की एक नयी परि स्थापित कर रही है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)