विदेश की खबरें | डैनियल पर्ल के हत्यारे को कानून की पकड़ से भागने नहीं देंगे, उमर शेख के खिलाफ मुकदमा चलाने को तैयार हैं : अमेरिका

अमेरिका के कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल जेफरी ए. रोसेन की यह टिप्पणी पाकिस्तानी अदालत द्वारा शेख और उसके तीन सहयोगियों को रिहा करने का आदेश देने के बाद आयी है।

रोसेन ने मंगलवार को कहा, ‘‘डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के मामले में हम उसे कानून की पकड़ से भागने नहीं दे सकते हैं।’’

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया के ब्यूरो चीफ 38 वर्षीय पर्ल 2002 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी संगठन अल-कायदा के बीच संबंध की खोजबीन के सिलसिले में पाकिस्तान में थे। उसी दौरान उनका अपहरण कर, सिर काटकर उनकी हत्या कर दी गई।

अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, रोसेन ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि पाकिस्तान प्रशासन उमर शेख को उस वक्त तक हिरासत में रखने का प्रयास कर रहा है, जब तक कि उसे सुनाई गई सजा को बहाल करने संबंधी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उसकी सजा को खत्म करने और उसे रिहा करने का अन्य न्यायिक आदेश आतंकवाद के सभी पीड़ितों के लिए बड़ा आघात है।’’

आश्चर्यजनक घटनाक्रम में सिंघ हाई कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले सप्ताह सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे शेख और अन्य आरोपियों को ‘‘किसी प्रकार के हिरासत’’ में ना रखें और उनकी हिंरासत से जुड़ी सिंघ सरकार की सभी अधिसूचनाओं को ‘‘अमान्य घोषित’’ कर दिया। अदालत ने कहा कि चारों व्यक्तियों को अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया है।

उसके कुछ ही दिन बाद सिंघ प्रांत की सरकार ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के आदेश के आधार पर शेख और उसके तीन साथियों को रिहा नहीं करने का फैसला लिया है।

इस मामले में अप्रैल में शेख को आरोप मुक्त करार देने के सिंघ हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सिंघ सरकार और दिवंगत पत्रकार के परिवार की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मुशिर आलम के नेतृत्व वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 28 सितंबर को कहा था कि अगली सुनवाई तक उन्हें रिहा ना किया जाए।

पाकिस्तान सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को विशेष रूप से वापस नहीं लिया गया है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘सिंघ हाई कोर्ट ने अपने 24 दिसंबर के आदेश में स्पष्ट किया था कि हिरासत को लेकर अगर सुप्रीम कोर्ट का कोई स्थगनादेश है तो आरोपी को रिहा नहीं किया जाना चाहिए।’’

गौरतलब है कि इंडियन एयरलाइंस के विमान 814 के अपहरण और करीब 150 यात्रियों को बंधक बनाने के बाद 1999 में भारत ने शेख, जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर और मुश्ताक अहमद जारगर को छोड़ा था और उन्हें सुरक्षित अफगानिस्तान तक जाने का रास्ता दिया था। इस घटना के तीन साल बाद 2002 में पर्ल की हत्या की गई।

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