देश की खबरें | बेरोजगार युवाओं, गृहणियों और छात्रों को निशाना बनाकर की जा रही साइबर धोखाधड़ी

नयी दिल्ली, दो जनवरी एक नया साइबर घोटाला सामने आया है, जिसमें बेरोजगार युवाओं, गृहणियों, छात्रों और जरूरतमंद लोगों को निशाना बनाया जाता है और वे प्रतिदिन बड़ी रकम गंवा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है।

रिपोर्ट के अनुसार, इसे “पिग बुचरिंग स्कैम” या “निवेश घोटाले” के रूप में भी जाना जाता है।

इसमें कहा गया है कि साइबर अपराधी इन अपराधों को शुरू करने के लिए गूगल सेवा मंच का भी उपयोग कर रहे हैं।

इसमें कहा गया, “गूगल विज्ञापन मंच सीमा पार से लक्षित विज्ञापन के लिए एक आसान सुविधा प्रदान करता है। ‘पिग बुचरिंग स्कैम’ या ‘निवेश घोटाला’ के रूप में जाना जाने वाला यह घोटाला एक वैश्विक मामला है और इसमें बड़े पैमाने पर धन शोधन और यहां तक ​​कि 'साइबर स्लेवरी' भी शामिल है।”

माना जाता है कि 2016 में चीन में शुरू हुआ ‘पिग बुचरिंग स्कैम’ भोले-भाले व्यक्तियों को निशाना बनाता है, जिनका साइबर अपराधी समय के साथ भरोसा जीतते हैं और अंततः उन्हें क्रिप्टोकरेंसी या किसी अन्य आकर्षक योजना में निवेश करने के लिए राजी कर लेते हैं और फिर उनकी रकम चोरी कर लेते हैं।

‘पिग बुचरिंग’ की उपमा सूअरों को मारे जाने से पहले उन्हें खिला पिलाकर मोटा किये जाने से आई है।

इस खतरे पर अंकुश लगाने के लिए गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने समय-समय पर तत्काल कार्रवाई के लिए खतरे की खुफिया जानकारी साझा करने के वास्ते गूगल के साथ साझेदारी की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराधी भारत में अवैध रूप से ऋण देने वाले ऐप शुरू करने के लिए प्रायोजित फेसबुक का उपयोग कर रहे हैं।

इसमें कहा गया, “ऐसे लिंक की सक्रिय रूप से पहचान की जाती है और आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्हें फेसबुक तथा फेसबुक पेजों के साथ साझा किया जाता है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि व्हाट्सऐप भारत में साइबर अपराधियों द्वारा संभवतः दुरुपयोग किया जाने वाला सबसे बड़ा सोशल मीडिया मंच बना हुआ है।

“साइबर अपराध की शिकायतें जहां बड़े प्रौद्योगिकी मंच का दुरुपयोग किया गया” पर रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2024 तक 14,746 शिकायतें व्हाट्सऐप से संबंधित थीं, 7,651 टेलीग्राम के खिलाफ, 7,152 इंस्टाग्राम के खिलाफ, 7,051 फेसबुक के खिलाफ और 1,135 यूट्यूब के खिलाफ थीं।

रिपोर्ट में कहा गया, “साइबर अपराधियों की पहचान करने और उन पर कार्रवाई करने में बड़ी टेक कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सक्रिय कार्रवाई के लिए खुफिया जानकारी और संकेत साझा करने के लिए आई4सी ने गूगल और फेसबुक के साथ साझेदारी की है।”

रिपोर्ट में कहा गया कि आई4सी की राष्ट्रीय साइबर अपराध जोखिम विश्लेषणात्मक इकाई (एनसीटीएयू) पोर्टल पर दर्ज शिकायतों का विश्लेषण करती है और साइबर अपराध के नवीनतम रुझानों और सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के दुरुपयोग पर विश्लेषण रिपोर्ट तैयार करती है।

इसमें कहा गया, “इन रिपोर्टों को सभी संबंधित हितधारकों, यानी बैंकों, वॉलेट्स, व्यापारियों, भुगतान एग्रीगेटर्स, भुगतान गेटवे, ई-कॉमर्स और अन्य विभागों के साथ साझा किया जाता है ताकि निवारक उपाय किए जा सकें और उनके मंचों/सेवाओं के दुरुपयोग को कम किया जा सके।”

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने एक साइबर स्वयंसेवक ढांचा भी शुरू किया है, जो नागरिकों को इंटरनेट पर गैरकानूनी सामग्री की रिपोर्टिंग, साइबर स्वच्छता के प्रसार और कानून प्रवर्तन में सहायता के लिए साइबर विशेषज्ञ के रूप में साइबर स्वयंसेवक के तौर पर नामांकन करने में सक्षम बनाता है, जिसके तहत 31 मार्च 2024 तक 54,833 स्वयंसेवकों ने पंजीकरण कराया था।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)