कोविड के कारण मस्तिक कोशिकाओं को होता है नुकसान, लेकिन सहसंबंध को सिद्ध करने के लिए और अध्ययन जरूरी

वैश्विक महामारी की शुरुआत में यह साफ हो गया था कि कोविड-19 सिर्फ फेफड़ों की बीमारी नहीं है. दिल, गुर्दे और जिगर भी इससे प्रभावित हो सकते हैं. कई मरीजों को तंत्रिका संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) समस्याएं भी हुईं जिनमें ‘ब्रेन फॉग’ यानी सोचने-सझने की शक्ति कम हो जाना, स्वाद एवं गंध की शक्ति चले जाने और मस्तिष्काघात भी शामिल हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

लंदन, 29 जून : (द कन्वरसेशन) वैश्विक महामारी की शुरुआत में यह साफ हो गया था कि कोविड-19 सिर्फ फेफड़ों की बीमारी नहीं है. दिल, गुर्दे और जिगर भी इससे प्रभावित हो सकते हैं. कई मरीजों को तंत्रिका संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) समस्याएं भी हुईं जिनमें ‘ब्रेन फॉग’ यानी सोचने-सझने की शक्ति कम हो जाना, स्वाद एवं गंध की शक्ति चले जाने और मस्तिष्काघात भी शामिल हैं. अब, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (University of Oxford) के एक अध्ययन में पाया गया है कि कोविड के कारण लंबे समय तक मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है. यह चिंताजनक बात है जो लंबे समय तक कोविड रहने की असंख्य रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में सामने आई है. इस अध्ययन की सहकर्मी समीक्षा बाकी है. इसमें ‘यूके बायोबैंक’ से लिए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है जो महामारी से पहले के आनुवंशिक डेटा, विस्तृत मेडिकल रिकॉर्ड और 40,000 से अधिक प्रतिभागियों के दिमाग का स्कैन रखता है. अनुसंधानकर्ताओं ने 782 प्रतिभागियों में से 394 लोगों (केसेज) को चुना जो मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के बीच कोविड की चपेट में आए थे.

शेष 388 प्रतिभागी ‘‘कंट्रोल” थे यानी जिन लोगों को कोविड नहीं हुआ था. केसेज की कंट्रोल के साथ उम्र, लिंग,नस्ल, रक्तचाप और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जैसे कारकों पर तुलना की गई. ज्यादातर ‘केसेज’ में मध्यम लक्षण या कोई लक्षण नहीं थे. अनुसंधानकर्ताओं ने ‘केसेज’ और ‘कंट्रोल’ दोनों को दूसरे मस्तिष्क स्कैन के लिए बुलाया जिससे उन्हें महामारी से पहले लिए गए मूल स्कैन के बाद से मस्तिष्क में हुए बदलावों का आकलन करने में मदद मिली. अध्ययन के इस प्रकार जिसमें ‘केसेज’ और ‘कंट्रोल्स’ की तुलना की गई, उसे महामारी विज्ञान में स्वर्ण मानक का अध्ययन माना जाता है. अध्ययन में 2,360 अलग-अलग मस्तिष्क मापों पर विचार किया गया. फिर दोनों मस्तिष्क स्कैनों के माप के अंतरों को प्रतिभागियों के संक्रमण की स्थिति के साथ जोड़कर देखा गया. यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा,वैक्सीन की एक करोड़ डोज उपलब्ध कराने की मांग

इस खोजपूर्ण विश्लेषण के अलावा, अनुसंधानकर्ताओं ने एक अधिक परिकल्पना आधारित दृष्टिकोण पर भी विचार किया जो 297 मस्तिष्क मापों तक सीमित थी जो संभावित रूप से कोविड से हुए नुकसान से जुड़े थे. विश्लेषणों के इन दो प्रकारों (खोजपरक और कल्पना आधारित) ने चार और आठ मापों की पहचान की जो सांख्यिकीय एवं महत्त्वपूर्ण रूप से कोविड से जुड़े थे. कोविड के लिए जिम्मेदार संक्रमण से जुड़ी मस्तिष्क की कोशिकाओं के घटने से जुड़े सभी लक्षण मस्तिष्क के उन हिस्सों में हुए जो गंध की शक्ति से जुड़े होते हैं. सांख्यिकीय विश्लेषण पेशेवर तरीके से और बड़ी संख्या में किए गए सांख्यिकीय परीक्षणों के लिए पर्याप्त रूप से नियंत्रित थे. इसके बावजूद, कुछ लक्षण भले ही सांख्यिकीय लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं, बाकी सभी संबंध मामूली थे और उनकी भविष्य के अध्ययनों से पुष्टि करनी होगी. यह भी पढ़ें : COVID-19: गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण संबंधी दिशा-निर्देश जारी

दिमाग के कुछ खास हिस्सों में मामूली नुकसान भी खतरनाक लग सकता है लेकिन सूक्ष्म मस्तिष्क परिवर्तन जरूरी नहीं कि कोई बीमारी हो यहां तक कि वस्यक लोगों में भी. अनुसंधानकर्ताओं ने अपने परिणामों को कोविड का सीधा हानिकारक परिणाम बताया है जो नाक के माध्यम से वायरस के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाने के कारण होता है. अन्य व्याख्या यह है कि सूंघने एवं स्वाद शक्ति से जुड़े मस्तिक के हिस्सों में हुए बदलाव गंध एवं स्वाद की शक्ति चले जाने के परिणामस्वरूप हुए न कि उसका कारण हैं. स्वास्थ्य के जोखिमों को कमतर आंकने से जान जा सकती है अक्सर देरी से निदान और खराब जीवनशैली विकल्पों के कारण. वहीं, स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना भी जानलेवा हो सकता है. लंबे समय तक तनाव लेने और ह्रदय रोग के उच्च जोखिम के बीच संबंध प्रमाणित है.

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