कोविड-19 से पश्चिम बंगाल में बच्चों की पढ़ने, गणना करने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित: सर्वेक्षण

पश्चिम बंगाल के कई जिलों में किए गए एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण राज्य में बच्चों की पढ़ने और गणना करने की क्षमता में काफी कमी आई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

कोलकाता, 10 फरवरी : पश्चिम बंगाल के कई जिलों में किए गए एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण राज्य में बच्चों की पढ़ने और गणना करने की क्षमता में काफी कमी आई है. ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ और ‘लिवर फाउंडेशन’ के संयुक्त प्रयास से तैयार ‘एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर, पश्चिम बंगाल)’ में कहा गया है कि कक्षा तीन में 27.7 प्रतिशत बच्चे कक्षा दो के पाठ पढ़ सकते हैं, जबकि 2018 में यह 36.6 प्रतिशत और 2014 में 32.9 प्रतिशत था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कक्षा पांच में लगभग 48 प्रतिशत छात्र कक्षा-2 स्तर के पाठ पढ़ सकते हैं जो 2018 के 50.5 प्रतिशत, 2016 के 50.2 प्रतिशत और 2014 के 51.8 प्रतिशत के आंकड़े से कम है.

यह सर्वेक्षण दिसंबर 2021 में राज्य के 17 जिलों के 11,189 बच्चों के बीच किया गया था. नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी ने बुधवार शाम को रिपोर्ट को डिजिटल माध्यम से लॉन्च किया. सर्वेक्षण के अनुसार, कक्षा दो में कम से कम शब्दों को पढ़ पाने वाले बच्चों का प्रतिशत 2021 में घटकर 53 प्रतिशत रह गया, जो 2018 में 66.2 प्रतिशत और 2014 में 54.8 प्रतिशत था. पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए गठित वैश्विक सलाहकार समिति के प्रमुख बनर्जी ने बुधवार को कहा था कि लॉकडाउन ने छात्रों की बुनियादी शिक्षा को बाधित किया है और राज्य में स्कूलों को अब जल्द से जल्द फिर से खोलना चाहिए. यह भी पढ़ें : HIjab Row: अजीत पवार बोले- भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसके अनुसार करें व्यवहार

अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में सभी स्कूल परिसरों को जल्द से जल्द खोला जाना चाहिए क्योंकि कोविड-19 की स्थिति में सुधार हुआ है और हर कोई स्कूलों को खोले जाने के पक्ष में है.’’ लिवर फाउंडेशन के डॉ अभिजीत चौधरी ने कहा, ‘‘2020 में कोविड-19 ने दुनिया को तबाह कर दिया. लगभग दो साल बाद बच्चों के लिए शैक्षणिक और सीखने के नुकसान का आकलन करना अनिवार्य हो गया है.’’

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