कोविड-19 के मामलों में लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड वृद्धि, 137 और लोगों की जान गई
जियो

नयी दिल्ली, 23 मई भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के नये मामलों में शनिवार को लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड वृद्धि हुई। एक दिन में सबसे अधिक 6,654 नये मामले सामने आए जिसके साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1.25 लाख हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गत 24 घंटे में 137 और लोगों की मौत के साथ अब तक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 3,720 तक पहुंच गई है।

एक महत्वपूर्ण कदम के तहत सरकार ने दवा नियामक प्रणाली में सुधार की अनुशंसा के लिए विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है ताकि स्वीकृति प्रक्रियाओं को गति दी जा सके।

कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे का सामना करते हुए, दवाओं की स्वीकृति प्रक्रिया को गति देने, अनुसंधान और टीका विकास जैसे कई कदम उठाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि समिति का लक्ष्य इन कदमों की पहचान करना और इन्हें संस्थागत करना है।

इस बीच, सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 11 शहरी क्षेत्रों में ही देश में सामने आए कोविड-19 के 70 प्रतिशत मरीज रहते हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने शनिवार को शहर के पुराने हिस्से, झुग्गी झोपड़ी और अन्य घनी बसी अबादी वाले इलाके जैसे शिविर, प्रवासी मजदूरों के बस्ती आदि की निगरानी बढ़ाने को कहा है ताकि संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि ये 11 शहरी क्षेत्र महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के हैं जहां पर 70 प्रतिशत उपचाराधीन मरीज हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये प्रधान स्वास्थ्य सचिवों और 11 नगर निगम क्षेत्रों के नगर आयुक्तों सहित अन्य अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। इस दौरान उन्होंने सबसे अधिक खतरे का सामना कर रही आबादी की सक्रियता से जांच और भर्ती मरीजों की उचित देखभाल का आह्वान किया ताकि मौतों को कम किया जा सके।

मंत्रालय के मुताबिक बैठक के दौरान एक प्रस्तुति दी गई जिसमें पृष्ट हुए मामलों, मौतों की दर, मामलों के दोगुनी होने की दर, प्रति दस लाख आबादी पर जांच की संख्या और उनमें कोविड-19 की पुष्टि होने का प्रतिशत आदि को रेखांकित किया गया था।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘बैठक में कहा गया कि नगर निगम क्षेत्रों में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम समय में मामलों के दोगुनी होने की अधिक दर, उच्च मृत्यु दर और जांच में संक्रमण की पुष्टि होने का अधिक अनुपात सबसे बड़ी चुनौती है।’’

अधिकारियों को बताया गया कि निषिद्ध और बफर जोन निर्धारित करने के लिए किन पहलुओं पर ध्यान दिया जाए और निषिद्ध क्षेत्रों में निर्धारित गतिविधियों जैसे इलाके में आवाजाही पर नियंत्रण, घर-घर जाकर संदिग्ध संक्रमितों का पता लगाना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना और सक्रिय मामले में इलाज कैसे किया जाए, इस पर उन्हें जानकारी दी गई।

अधिकारियों को बफर जोन में भी निगरानी गतिविधियों को करने को कहा गया जैसे सांस की बीमारी संबंधी मरीजों का पता लगाना, सामाजिक दूरी और साफ सफाई के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना।

सूदन ने कहा, ‘‘पुराने शहरों के क्षेत्रों में उच्च सतर्कता और निगरानी बनाए रखना, शहरी श्रमिकों के लिए शिविरों एवं बस्तियों के के साथ-साथ शहरी झुग्गियों और अन्य घनी बसी आबादी वाले क्षेत्रों में कोविड-19 के नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले कदम महत्वपूर्ण हैं।

अधिकारियों से यह भी आह्वान किया गया कि वे उच्च जोखिम और असुरक्षित समूहों की सक्रिय जांच के माध्यम से रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करें और गंभीर मामलों को कम करने के लिए मजबूत नैदानिक प्रबंधन करें।

विज्ञप्ति के मुताबिक कई राज्य चौबीस घंटे कार्य करने वाले नियंत्रण कक्ष का संचालन कर रहे हैं और अन्य भी इसका अनुसरण कर सकते हैं और ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं। ये नियंत्रण कक्ष न केवल कोविड-19 से जुड़े मामले का समाधान कर सकते हैं बल्कि चिकित्सकों की टीम इसके जरिये संक्रमितों को परामर्श दे सकेगी जिससे मौतों की संख्या को प्रभावी तरीके से कम किया जा सकेगा।’’

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह रेखांकित किया गया कि मौतों की संख्या कम करने के लिए संक्रमितों का समय पर पता लगाने और इलाज मुहैया कराने के लिए कुछ शहरों में जांच की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।’’

मंत्रालय ने कहा कि उन्हें अगले दो महीने की संभावित स्थिति के मद्देनजर ऑक्सीजन के साथ पृथक विस्तर, वेंटिलेटर और गहन चिकित्सा बिस्तर जैसे स्वास्थ्य आधारभूत संरचना को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’’

विज्ञप्ति के मुताबिक अन्य मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, उनमें नमूना संग्रह में देरी को कम करने के लिए सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं के साथ समन्वय, स्वास्थ्य और बिस्तर की क्षमता बढ़ाने के लिए निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी, अपशिष्ट निपटान, प्रवासी मजदूरों के लिए शिविरों का प्रबंधन और स्थानीय में कोविड-19 मरीजों को लेकर व्याप्त भ्रम को दूर करने जैसे मामलों पर जागरूकता पैदा करना शामिल है। इसमें सामुदायिक नेताओं और युवाओं से सहयोग लिया जा सकता है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)