देश की खबरें | अदालत ने आयुष्मान भारत योजना लागू करने से संबंधित याचिका पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

नयी दिल्ली, 28 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के भाजपा सांसदों की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के क्रियान्वयन के अनुरोध वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी. एस. अरोड़ा की पीठ ने सांसदों द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार, केंद्र और उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा, “नोटिस जारी किया जाए। प्रतिवादियों के वकील ने हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा है और उन्हें समय दिया जाता है।”

अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 11 दिसंबर निर्धारित की जब दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में गहन देखभाल की स्थिति के संबंध में उसकी स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई याचिका पर भी सुनवायी होगी।

याचिकाकर्ताओं हर्ष मल्होत्रा, रामवीर सिंह बिधूड़ी, प्रवीण खंडेलवाल, योगेंद्र चंदोलिया, मनोज तिवारी, कमलजीत सहरावत और बांसुरी स्वराज ने दायर जनहित याचिका में कहा है कि राजधानी के निवासियों को अपनी जेब से भारी स्वास्थ्य और चिकित्सा खर्च उठाना पड़ रहा है और कई लोगों को आपात चिकित्सा स्थिति में उधार लेने या अपनी संपत्ति तक बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है जहां योजना अभी तक लागू नहीं की गई है, लिहाजा पात्र लोग पांच लाख रुपये की आवश्यक स्वास्थ्य सेवा से वंचित हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 नवंबर को इस पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि दिल्ली सरकार केंद्र द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य योजना के तहत वित्तीय सहायता कथित तौर पर स्वीकार नहीं कर रही है जबकि उसके पास अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए ‘‘पैसा नहीं’’ है।

उसने कहा था कि केंद्रीय योजना नागरिकों के एक विशेष वर्ग को दी जा रही सहायता मात्र है तथा दिल्ली प्रशासन के भीतर मतभेदों को दूर करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

स्वराज ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दिल्ली के निवासियों के कल्याण के हित में ‘‘राजनीतिक विचारधाराओं के टकराव को पीछे रख जाना चाहिए’’ और दिल्ली सरकार और उसके स्वास्थ्य विभाग को इस योजना को लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

याचिका में दावा किया गया है कि ‘‘36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 33 ने इस योजना को लागू किया है और वर्तमान में ओडिशा सरकार इस योजना के क्रियान्वयन पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है। हालांकि, इस योजना को दिल्ली एनसीटी में लागू नहीं किया गया है, जिससे लक्षित लाभार्थी पांच लाख रुपये के वादा किए गए कवर तक आसान और कुशल पहुंच से वंचित हैं, जो उन्हें सूचीबद्ध सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के विशाल नेटवर्क में माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने पर होने वाले भयावह खर्च से बचाएगा।’’

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि दिल्ली के पूर्व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने वित्त वर्ष 2020-2021 के अपने बजट भाषण में योजना के क्रियान्वयन के संबंध में "स्पष्ट प्रतिबद्धता" जताई थी, लेकिन वादे को "मनमाने ढंग से और अनुचित रूप से" त्याग दिया गया।

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