देश की खबरें | न्यायालय ने निशुल्क चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने के अनुरोध संबंधी याचिका पर मणिपुर सरकार से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 18 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने कुकी समुदाय की दो महिलाओं की उस याचिका पर शुक्रवार को मणिपुर सरकार से जवाब मांगा, जिसमें राज्य के जातीय हिंसाग्रस्त इलाकों से पलायन करने वाले लोगों को निशुल्क चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उस याचिका पर गौर किया, जिसमें हिंसा से संबंधित मामला दर्ज करने में स्थानीय पुलिस की ओर से कथित अनिच्छा को ध्यान में रखते हुए, ‘जीरो एफआईआर’ दर्ज करने के वास्ते पुलिस के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने नोटिस जारी करते हुए मणिपुर हिंसा पर लंबित याचिकाओं के साथ याचिका को संबद्ध करने का आदेश दिया।

दो महिलाओं की याचिका में मणिपुर के मूल निवासियों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए दावा किया गया है कि उन्हें पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है।

महिलाओं ने याचिका में आरोप लगाया कि उनकी तरह कई अन्य लोगों को बुनियादी मानवाधिकारों और जीवन के अधिकार से वंचित किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर हिंसा में प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी तथा मुआवजे के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का सात अगस्त को आदेश दिया था।

इसके अलावा न्यायालय ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर से आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने को भी कहा था।

उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उसका प्रयास राज्य में कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है। शीर्ष अदालत ने वहां (मणिपुर में) समग्र स्थिति की निगरानी करने का भी फैसला किया था।

मणिपुर में मई की शुरुआत में कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

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