जरुरी जानकारी | बायजू मामले में सीओसी को बैठक न करने का अंतरिम आदेश देने से न्यायालय का इनकार

नयी दिल्ली, 22 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने वित्तीय संकट से घिरी शिक्षा-प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही जारी रखने के लिए कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) को कोई बैठक नहीं आयोजित करने का अंतरिम आदेश देने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।

हालांकि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह 27 अगस्त को इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई तक होने वाले घटनाक्रमों को वह नकार सकती है अगर उसे यह लगता है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ अमेरिका की कर्जदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी की तरफ से दायर अपील में कोई दम नहीं है।

बायजू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक दिन पहले सीओसी का गठन कर दिया गया है और 98 प्रतिशत हिस्सेदारी अमेरिकी कंपनी के पास है।

बायजू का संचालन करने वाली मूल कंपनी थिंक एंड लर्न को झटका देते हुए शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें एड-टेक प्रमुख के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को अलग रखा गया था और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी दी गई थी।

इससे पहले दो अगस्त का अपीलीय न्यायाधिकरण का फैसला बायजू के लिए बड़ी राहत लेकर आया था क्योंकि इसने प्रभावी रूप से संस्थापक बायजू रवींद्रन को फिर से नियंत्रण में ला दिया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के फैसले को प्रथम दृष्टया ‘अनुचित’ करार देते हुए रोक लगा दी थी।

यह मामला बीसीसीआई के साथ एक प्रायोजन सौदे से संबंधित 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान में बायजू की चूक से जुड़ा है। शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई को निर्देश दिया था कि वह बायजू से समझौते के बाद प्राप्त 158 करोड़ रुपये की राशि को अगले आदेश तक एक अलग एस्क्रो खाते में रखे।

बायजू ने 2019 में बीसीसीआई के साथ ‘टीम प्रायोजक समझौता’ किया था। कंपनी ने 2022 के मध्य तक अपने दायित्वों को पूरा किया, लेकिन 158.9 करोड़ रुपये के बाद के भुगतानों में चूक कर गई।

प्रेम

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