नयी दिल्ली, 14 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की के बलात्कार के आरोपी 23 वर्षीय एक युवक को 45 दिन की अंतरिम जमानत दे दी।
अदालत ने इसका संज्ञान लिया कि 2019 में जब लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार हुआ उस समय वह जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार बालिग थी।
अदालत में पेश किए गए पीड़िता के जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार उसका जन्म जून 2000 में हुआ था।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने अपने आदेश में कहा, “यह गंभीर प्रश्न है कि यदि लड़की का जन्म प्रमाण पत्र स्वीकार कर लिया जाता है तो क्या पाक्सो कानून के तहत यह अपराध माना जाएगा, क्योंकि जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार घटना के समय लड़की बालिग थी।”
अदालत ने इसका भी संज्ञान लिया कि पुलिस इसकी जांच कर रही है कि कहीं यह जानबूझकर फंसाने का मामला तो नहीं।
अधिवक्ता शुभम श्री के माध्यम से अभियुक्त ने अपने पिता की बीमारी का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत की याचिका दायर की थी।
अभियुक्त ने कहा था कि उसके पिता को दिल की बीमारी है और 29 अप्रैल को उनकी सर्जरी हुई है।
अभियुक्त को उसके विरुद्ध दिल्ली के सरिता विहार पुलिस थाने में 2019 में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर बलात्कार और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
प्राथमिकी के अनुसार कथित घटना के समय लड़की 17 वर्ष की थी।
लड़की का आरोप था कि अभियुक्त उसे बहला फुसला कर सरिता विहार के एक अतिथि गृह में ले गया था जहां उसने लड़की का बलात्कार किया।
लेकिन अभियुक्त के अनुसार दोनों के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने थे।
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