देश की खबरें | न्यायालय ने मानहानि के मामले में टीवी ऐंकर को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की अवधि बढ़ाई

नयी दिल्ली, आठ जुलाई उच्चतम न्यायालय ने एक शो में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को लेकर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी के सिलसिले में दर्ज मामलों में टीवी समाचार ऐंकर अमीश देवगन के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की अवधि बुधवार को बढ़ा दी।

इस बीच, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर तथा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई के दौरान देवगन के वकील से कहा कि अनेक राज्यों में पत्रकार के खिलाफ शिकायतें दाखिल करने वालों को याचिका की प्रतियां देकर मामले में लिखित में दलीलें पूरी की जायें।

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देवगन की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील मृणाल भारती पेश हुये। संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने देवगन को 26 जून को दी गयी राहत अगले आदेश तक के लिये बढ़ा दी।

देवगन के खिलाफ इस समय राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में पांच प्राथमिकी दर्ज हैं। ये प्राथमिकियां 15 जून को देवगन के समाचार कार्यक्रम ‘आर पार’ में सूफी संत के लिए कथित तौर पर अपमानजनक शब्द के इस्तेमाल के मामले में दर्ज कराई गई थीं।

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देवगन ने बाद में ट्वीट करके खेद जताते हुए कहा कि उन्होंने दरअसल मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी के संदर्भ में वह शब्द कहा था और चिश्ती का नाम गलती से बोल गए।

देवगन ने शीर्ष अदालत से आपराधिक मामलों में जांच पर स्थगन का अनुरोध करते हुए इन्हें (जांच को) रद्द करने का आग्रह किया था।

शीर्ष अदालत ने पुलिस एजेंसियों द्वारा पत्रकार के खिलाफ मामले में लंबित या भविष्य की जांच पर आज तक के लिए रोक लगाई थी।

देवगन की याचिका पर पीठ ने महाराष्ट्र, तेलंगाना और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किये थे। पीठ ने भारती से कहा था कि इस कार्यक्रम को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ताओं को भी इसमें पक्षकार बनाया जाये।

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