नयी दिल्ली, 10 मई उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उस याचिका का निस्तारण कर दिया जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर वह फैसला सुनाए।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि याचिका बेकार हो गई है क्योंकि उच्च न्यायालय तीन मई को अपना फैसला सुना चुका है और सोरेन पहले ही उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे चुके हैं।
सोरेन ने गिरफ्तारी के खिलाफ अपनी याचिका पर उच्च न्यायालय का निर्णय आने तक लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने का भी अनुरोध किया था।
पीठ ने सोरेन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल तथा अरुणाभ चौधरी से कहा, ‘‘यह बेकार हो गई है।’’
सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय के पिछले सप्ताह के फैसले को चुनौती देने वाली सोरेन की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) 13 मई को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आ रही है।
उन्होंने कहा कि दोनों याचिकाओं पर 13 मई को एक साथ सुनवाई की जाए।
हालांकि, पीठ ने कहा कि सोरेन के वकील उस एसएलपी में समस्त दलील उठा सकते हैं जो 13 मई को सुनवाई के लिए आएगी।
सिब्बल ने कहा, ‘‘भूल जाइए कि वह एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं। मुझे (सोरेन को) नागरिक के तौर पर अधिकार है कि उच्च न्यायालय निष्पक्षता बरते।’’
पीठ ने सोरेन की याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘आपने उच्च न्यायालय के आदेश को एक और याचिका में चुनौती दी है। आप वहीं दलील दीजिए।’’
शीर्ष अदालत ने 29 अप्रैल को कहा था कि मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली सोरेन की याचिका पर फैसला उच्च न्यायालय को सुनाना है।
उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)