मुंबई, सात जुलाई बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की 2015 में हुई हत्या की जांच में 2020 से अब तक हुई प्रगति की जानकारी देते हुए एक रिपोर्ट सौंपने का बृस्पतिवार को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की अगुवाई वाली पीठ ने सीआईडी को चार सप्ताहों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
सीआईडी ने आखिरी बार 2020 में मामले में स्थिति रिपोर्ट सौंपी थी।
उच्च न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया है जब पानसरे के परिवार के वकील अभय नेवागी ने अदालत को बताया कि राज्य पुलिस को हत्या के सात साल बाद भी मामले में कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
उच्च न्यायालय पानसरे और तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर के परिवार की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें अदालत से दोनों हत्याकांड की जांच की निगरानी करने का अनुरोध किया गया है।
दाभोलकर की हत्या की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है जबकि पानसरे की हत्या की जांच महाराष्ट्र पुलिस की सीआईडी का विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है।
पीठ ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तिरुपति काकडे को पानसरे मामले में जांच अधिकारी (आईओ) पद से मुक्त करने की अनुमति भी दी। काकडे का साढ़े चार साल तक मामले की जांच का नेतृत्व करने के बाद अब तबादला किया जाना है।
बंबई उच्च न्यायालय ने पहले निर्देश दिया था कि दोनों मामलों की जांच कर रहे अधिकारियों का अदालत की अनुमति के बिना तबादला न किया जाए। इसके बाद राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय का रुख किया।
न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे ने काकडे को पदभार से ‘‘मुक्त’’ करने के राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा कि नए आईओ की नियुक्ति चार हफ्तों के भीतर की जाए और इसके बाद ही काकडे नया पद संभाल सकते हैं।
नेवागी ने एक अर्जी दायर करते हुए दावा किया कि दाभोलकर, पानसरे और कन्नड़ कार्यकर्ता एवं विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्याओं के तार ‘‘आपस में जुड़े’’ हुए हैं।
उन्होंने उच्च न्यायालय से महाराष्ट्र के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) को यह जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया कि इन हत्याओं के पीछे का मास्टरमाइंड कौन था।
उच्च न्यायालय ने अर्जी पर अभी तक कोई निर्देश नहीं दिया है। अदालत ने कहा, ‘‘उन्हें (राज्य सीआईडी) पहले पानसरे मामले में 2020 से 2022 तक की स्थिति रिपोर्ट देने दीजिए।’’
गौरतलब है कि दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर उस समय हत्या कर दी गयी थी जब वह सुबह की सैर पर निकले थे।
पानसरे की कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को गोली मारी गयी थी और कुछ दिनों बाद 20 फरवरी को उनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी थी।
कलबुर्गी की कर्नाटक के धारवाड़ में 30 अगस्त 2015 को गोली मारकर हत्या की गयी थी।
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