मुंबई, 11 जनवरी बंबई उच्च न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में दिवालिया ट्रेवल कंपनी ‘कॉक्स एंड किंग्स’ के प्रवर्तक अजय अजित केरकर को जमानत देने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की एकल पीठ ने 10 जनवरी के अपने आदेश में केरकर की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि कारावास की न्यूनतम अवधि के आधे से अधिक समय तक हिरासत में रहने के बाद जमानत पर रिहा होने का अधिकार ‘पूर्ण अधिकार’ नहीं है।
अपनी याचिका में, केरकर ने कहा था कि उन्हें दो साल और 340 दिनों अर्थात करीब तीन साल जेल में रखा गया था, जो धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दी जाने वाली न्यूनतम सजा के करीब बराबर है।
ईडी के वकील हितेन वेनेगांवकर ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा अभी पूरा नहीं हुआ है, इसलिए आरोपी इस अवधि के समाप्त होने के बाद ही रिहाई की मांग कर सकता है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि विचाराधीन कैदी का त्वरित सुनवाई का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के पहलुओं में से एक है, जो मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, अदालत अभी भी इस आधार पर जमानत की राहत से इनकार कर सकती है कि ‘मुकदमे में देरी खुद आरोपी के कहने पर ही हुई थी।
केरकर को नवंबर 2020 में ‘कॉक्स एंड किंग’ समूह के खिलाफ कथित बैंक धोखाधड़ी और वित्तीय कदाचार मामले में गिरफ्तार किया गया था।
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