देश की खबरें | अदालत का उपयोग साक्ष्य एकत्र करने के लिए नहीं किया जा सकता : मालेगांव मामले के न्यायाधीश
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर फैसला करते हुए कहा है कि अदालत का उपयोग अभियोजन या बचाव पक्ष द्वारा साक्ष्य एकत्र करने के लिए नहीं किया जा सकता।
मुंबई, 23 अगस्त मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर फैसला करते हुए कहा है कि अदालत का उपयोग अभियोजन या बचाव पक्ष द्वारा साक्ष्य एकत्र करने के लिए नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मामलों के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश ए के लाहोटी ने मंगलवार को एक गवाह की याचिका खारिज करते हुए कहा कि साक्ष्य एकत्र करना अभियोजन एजेंसी का काम है।
गवाह ने कहा था कि नवंबर 2008 में दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत की भोपाल में हुई बैठक से संबद्ध एक खबर की सीडी आरोप पत्र के साथ सौंपी गई थी, वह टूटी हुई थी। आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) के एक अधिकारी के पास उसकी प्रति है और उन्हें इसे अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि गवाह अदालत के जरिये साक्ष्य एकत्र करने की कोशिश कर रहा है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अदालत का उपयोग अभियोजन या बचाव पक्ष द्वारा साक्ष्य एकत्र करने के लिए नहीं किया जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि मौजूदा अर्जी सुनवाई में देर करने के इरादे से दायर की गई है।
मुंबई से करीब 200 किमी दूर, उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल से बांध कर रखे गये विस्फोटक में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
मामले की सुनवाई 2018 में शुरू हुई, जब विशेष एनआईए अदालत ने आतंकी गतिविधियों, आपराधिक साजिश और हत्या सहित अन्य आरोपों में सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आरोप तय कर दिये।
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