देश की खबरें | वकील के अनुपस्थित रहने पर याचिका खारिज करने के फैसले को न्यायालय ने किया दरकिनार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान चार बार वकील के अनुपस्थित रहने के आधार पर एक व्यक्ति की याचिका खारिज करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता इस प्रकार नहीं छीनी जा सकती।
नयी दिल्ली, 22 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान चार बार वकील के अनुपस्थित रहने के आधार पर एक व्यक्ति की याचिका खारिज करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता इस प्रकार नहीं छीनी जा सकती।
न्यायालय ने टिप्पणी की कि अदालत ने याचिका खारिज करके ‘‘स्पष्ट रूप से त्रुटि’’ की और उसे हथियार कानून के तहत दोषसिद्धि संबंधी मामले में सहायता के लिए एक अन्य वकील को न्यायमित्र नियुक्त करना चाहिए था।
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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज करके ‘‘स्पष्ट रूप से त्रुटि’’ की कि याचिकाकर्ता का वकील चार बार उपस्थित रहा।
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी इस पीठ में शामिल थी।
न्यायालय ने 16 नवंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘किसी नागरिक की स्वतंत्रता को इस तरीके से छीना नहीं जा सकता।’’
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार कर ली और उच्च न्यायालय के 11 फरवरी और 16 जुलाई के आदेशों को दरकिनार कर दिया।
अदालत ने 11 फरवरी को याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता का वकील चार बार सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहा।
इसके बाद अदालत ने 16 जुलाई को याचिका पर फिर से सुनवाई किए जाने संबंधी अनुरोध खारिज कर दिया था और कहा था कि इसका कोई आधार नहीं है।
याचिकाकर्ता ने अदालत के इन आदेशों के खिलाफ अपने वकील एम के घोष के जरिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता को जनवरी 2015 में एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने हथियार कानून के तहत दोषी ठहराया था और तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी। सत्र अदालत ने भी जुलाई 2017 में उसकी दोषसिद्धि बरकरार रखी थी, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
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