देश की खबरें | सुनवाई के दौरान छात्रों के अनुचित वेशभूषा में शामिल होने, बार-बार संदेश भेजने से अदालत नाराज

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देश की खबरें | सुनवाई के दौरान छात्रों के अनुचित वेशभूषा में शामिल होने, बार-बार संदेश भेजने से अदालत नाराज
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, चार अगस्त दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा कराई जाने वाली अंतिम वर्ष की ऑनलाइन परीक्षाओं पर मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई के दौरान स्क्रीन पर अनुचित तरीके से कपड़े पहने छात्रों के दिखने और उनके संदेश बार-बार अचानक से सामने आने से नाराज दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें कैमरा और माइक बंद करने का निर्देश दिया।

कोरोना वायरस महामारी के कारण अदालतों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस से की जाने वाली सुनवाई के दौरान न्यायाधीश और पक्ष रख रहे वकीलों के अलावा अन्य लोगों को अपने माइक और कैमरे बंद रखने होते हैं।

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न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने छात्रों से उनके कैमरे बंद करने को कहा क्योंकि वे अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिहाज से ‘‘उचित वेशभूषा’’ में नहीं थे।

इस दौरान छात्रों की तरफ से चैट बॉक्स में बार-बार संदेश भी भेजे जाते रहे। ऐसे ही एक संदेश में कहा गया, ‘‘मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से घृणा करता हूं। मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय को अपना कॉलेज चुनने की सजा मिल रही है।’’

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जब अदालत ने पूछा कि ये संदेश कौन भेज रहा है और उसे किसने सुनवाई में शामिल होने के लिए लिंक दिया तो अनेक याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि वे छात्र होंगे।

वकील ने दावा किया कि उन्होंने छात्रों को लिंक नहीं दिया है और उन्होंने कोर्ट मास्टर से ये प्राप्त कर लिये होंगे।

इसके बाद वकील ने चैट बॉक्स में संदेश छोड़ा कि छात्र अपने कैमरे और माइक बंद रखें।

प्रत्येक प्रश्नपत्र के कुल अंकों को लेकर वकीलों से अदालत के सवालों पर भी छात्रों ने चैट बॉक्स में अनेक संदेश भेज दिये।

अदालत खुली किताब से ऑनलाइन परीक्षा कराने के डीयू के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अंतिम वर्ष के लिए समस्त मूल्यांकन आंतरिक आधार पर नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि जहां तक वार्षिक परीक्षाओं की बात है तो उनका समय पर होना जरूरी है और वे ऑनलाइन, ऑफलाइन या मिलेजुले स्वरूप में हो सकती हैं लेकिन प्रस्तुतिकरण के आधार पर नहीं हो सकतीं।

मेहता ने कहा कि यूजीसी ने शैक्षणिक जगत में लिखित परीक्षा की शुचिता की व्याख्या की है।

याचिकाकर्ता अनुपम एवं अन्य की ओर से वकील आकाश सिन्हा ने दलील दी कि जिन छात्रों के पास इंटरनेट सुविधा नहीं है, वे अभ्यास परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सके और वे 10 अगस्त को सीधे मुख्य परीक्षा में बैठेंगे।

उन्होंने कहा कि ऐसे भी छात्र हैं जिनके पास इंटरनेट की सुविधा है लेकिन निषिद्ध क्षेत्रों या बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फंसे हुए हैं।

अदालत दिल्ली विश्वविद्यालय की दलीलों पर सुनवाई बुधवार को करेगी।

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