देश की खबरें | अदालत ने केजरीवाल, सिसोदिया, योगेन्द्र यादव को 2013 के मानहानि के मामले में बरी किया

नयी दिल्ली, 20 अगस्त दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता योगेन्द्र यादव को मानहानि के एक मामले में शनिवार को बरी कर दिया। यह मामला एक वकील ने 2013 में दायर किया था।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने कहा कि शिकायतकर्ता सह अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार शर्मा (अब मृतक) यह साबित करने में नाकाम रहें कि आरोपियों ने कथित अपराध किये हैं।

न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिष्ठा की अवधारणा समाज में उस वक्त से है जब सभ्यता की शुरूआत हुई थी।’’

उन्होंने भगवद् गीता की कुछ पंक्तियों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘एक सम्मानित व्यक्ति के लिए बदनामी मौत से भी बदतर है।’’ उन्होंने कहा कि ये शब्द दूसरी सदी के हैं और व्यक्ति की प्रतिष्ठा के महत्व को रेखांकित करते हैं।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यहां तक कि आज, आधुनिक युग में, जब संविधान लागू है, प्रतिष्ठा के अधिकार को एक मूल अधिकार के तहत रखा गया है जो जीवन की स्वतंत्रता के व्यापक अधिकार के दायरे में आता है। इसलिए बेशक अनंत काल से भारतीय समाज ने प्रतिष्ठा को ऐसे किसी व्यक्ति की सबसे मूल्यवान संपत्ति के रूप में मान्यता दी है जो वकील या नेता जैसे सार्वजनिक जीवन से जुड़े पेशे से जुड़े हुए हैं।’’

न्यायाधीश ने 81 पृष्ठों के आदेश में इस बात का जिक्र किया कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 14 अक्टूबर 2013 को कथित खबर प्रकाशित करा कर आरोपी व्यक्तियों ने उनकी मानहानि की, लेकिन वह इसे साबित करने में नाकाम रहें कि आरोपी 13 अक्टूबर 2013 को कथित प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के लिए अधिकृत थे या उन्होंने इसे लिखा था।

न्यायाधीश ने कहा कि शिकायकर्ता बार-बार कोशिश करने के बावजूद यह साबित करने में नाकाम रहें कि आरेापियों ने उक्त कथित अपराध किये थे।

उन्होंने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, अदालत आरोपी व्यक्तियों को मौजूदा मामले में दोषी करार नहीं दे सकती। सबूतों और उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर सभी आरोपियों-अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और योगेन्द्र यादव को उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत लगाये गये आरोपों से बरी किया जाता है। ’’

शिकायतकर्ता के अनुसार, 2013 में आप के कार्यकर्ताओं ने उनसे संपर्क किया था और पार्टी के टिकट पर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि केजरीवाल उनकी समाज सेवाओं से खुश हुए हैं।

शिकायतकर्ता के अनुसार, सिसोदिया और योगेन्द्र द्वारा यह कहे जाने पर कि आप की राजनीतिक मामलों की समिति ने उन्हें टिकट देने का फैसला किया है, उन्होंने (शिकायतकर्ता ने) चुनाव लड़ने के लिए आवेदन भर दिया।

हालांकि, बाद में उन्हें (शिकायतकर्ता को) उम्मीदवार बनाने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने 14 अक्टूबर 2013 को दावा किया कि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों में आरोपियों ने ‘‘मानहानिकारक, गैरकानूनी और अपमानजनक’’ शब्दों के इस्तेमाल किये थे, जिसने बार और समाज में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई।

शिकायतकर्ता की एक नवंबर 2020 को मृत्यु हो गई और मुकदमे को उनके भतीजे योगेश कुमार गौड़ ने आगे बढ़ाया। गौड़ भी पेशे से वकील हैं।

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