मुंबई, पांच सितंबर मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने कतर एयरवेज के एक पूर्व कर्मचारी के खिलाफ कथित रूप से एक अभिनेत्री से शादी का वादा करके कई बार उससे दुष्कर्म करने को लेकर दर्ज मामले में पुलिस की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ (मामले को बंद करने के लिये दायर की जाने वाली रिपोर्ट) स्वीकार कर ली है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत (अंधेरी) ने 28 अगस्त को पुलिस की ‘बी-समरी’ रिपोर्ट को स्वीकार कर ली। रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच से संकेत मिलता है कि 48 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ किसी मकसद से झूठा मामला दर्ज कराया गया था।
जब आरोपी के खिलाफ कोई साक्ष्य या प्रथमदृष्टया मामला नहीं होता है, कोई झूठी शिकायत की गयी होती है या जब कोई मजिस्ट्रेट मामले को दुर्भावनापूर्ण और झूठा मानते हैं, तो पुलिस ‘बी-समरी’ रिपोर्ट दाखिल करती है।
अभिनेत्री की शिकायत पर जुहू पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की दुष्कर्म, अप्राकृतिक यौनाचार और धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं के तहत मार्च 2021 में मामला दर्ज किया था।
अभिनेत्री ने अपनी शिकायत में दावा किया कि व्यक्ति ने उससे शादी का झूठा वादा किया और मार्च 2020 से फरवरी 2021 के बीच अमेरिका और मुंबई के होटलों में कई बार उससे दुष्कर्म किया।
अभिनेत्री ने आरोप लगाया कि आरोपी ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ भी धोखाधड़ी की। अभिनेत्री के मुताबिक, आरोपी ने दावा किया था कि उसकी पत्नी और पुत्र मर गये हैं, जबकि वे जीवित हैं।
आरोपी के वकील दिनेश गुप्ता ने कहा कि महिला ने उनके मुवक्किल द्वारा धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराए जाने के जवाब में झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
उन्होंने कहा कि कतर एयरवेज में वरिष्ठ पद पर कार्यरत व्यक्ति को झूठी प्राथमिकी के कारण सेवा से हटा दिया गया था।
पुलिस ने ‘बी-समरी’ रिपोर्ट में कहा कि वादी महिला और आरोपी की आयु परिपक्व है और उन्होंने स्वेच्छा से पैसों का आदान-प्रदान किया और शारीरिक संबंध बनाये।
पुलिस ने कहा कि महिला ने इस बात का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया कि वह आरोपी से फेसबुक के माध्यम से मिली थी, जैसा कि उसने शिकायत में उल्लेख किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, महिला ने यह दिखाने के लिए कोई गवाह या पुख्ता सबूत पेश नहीं किया कि आरोपी ने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाये और जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है।
इन निष्कर्षों के आधार पर ‘बी-समरी’ रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला ने आरोपी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ता ने पुलिस रिपोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ‘बी-समरी’ रिपोर्ट को स्वीकार करने के पर्याप्त आधार हैं।
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