नयी दिल्ली, 11 अप्रैल खाद्य तेलों की कम आपूर्ति के बीच मांग बढ़ने के कारण बृहस्पतिवार को देश के तेल-तिलहन बाजारों में बिनौला तेल कीमत मजबूती के रुख के साथ बंद हुई। दूसरी ओर जहां सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन के भाव में गिरावट रही, वहीं ऊंचे दाम पर मांग प्रभावित रहने के बीच मूंगफली तेल- तिलहन, कम उपलब्धता के कारण सोयाबीन तेल, मलेशिया एक्सचेंज का कारोबार बंद रहने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज बंद था और शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट है।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक पिछले कारोबारी सत्र के सवा नौ लाख बोरी से आज घटकर सवा सात लाख बोरी रह गई। सस्ते आयातित तेलों के थोक दाम के आगे सरसों की अधिक लागत की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण सरसों तेल-तिलहन में गिरावट रही।
उन्होंने कहा कि बाजार में बिनौले की नकली खल सस्ते दाम पर बिकने की वजह से कपास की आवक प्रभावित हुई है और बिनौला तेल मिलों को पेराई में नुकसान हो रहा है। यह नुकसान इसलिए है क्योंकि असली बिनौला खल का दाम अधिक बैठता है। बिनौला तेल का असली कारोबार इससे निकलने वाले खल का होता है जिसे बेचकर कपास किसान लाभ कमाते हैं। नकली खल की वजह से किसानों ने अपनी आवक लाना कम कर दिया है जिसके कारण बिनौला तेल कीमतें मजबूती के साथ बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि तेल संयंत्रों की नीचे भाव पर खरीद की मांग होने से सोयाबीन तिलहन में मामूली गिरावट है। जबकि आपूर्ति की दिक्कतों की वजह से सोयाबीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर ही बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि प्रमुख तेल संगठन साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने दावा किया है कि एक अप्रैल को पाइपलाइन में खाद्य तेलों का स्टॉक रहा है। उसने बताया है कि मार्च में सूरजमुखी का आयात भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि एसईए को यह भी बताना चाहिये कि जब सूरजमुखी तेल का आयात मार्च में अपने पिछले महीने से बढ़ा है तो यह तेल मार्च के अलावा अभी भी बंदरगाहों पर प्रीमियम दाम पर क्यों बिक रहा है? अगर कोई तेल प्रीमियम दाम पर बिके तो इसे पाइपलाइन में तेल की कमी मानी जाती है।
उन्होंने कहा कि एसईए ने भी माना है कि पाम, पामोलीन के महंगा होने के कारण इन तेलों का आयात घटा है। महीने में लगभग औसतन साढ़े आठ-नौ लाख टन पाम, पामोलीन का आयात होता है। जब इन तेलों का आयात घटकर पांच लाख टन के आसपास रह जायेगा तो इसकी कमी को पूरा करने का दबाव सूरजमुखी, सोयाबीन जैसे सॉफ्ट तेलों पर आयेगा। पाम, पामोलीन के आयात की भारी कमी के अंतर की वजह से अब अपेक्षाकृत सस्ते (थोक दाम) सूरजमुखी का आयात थोड़ा बढ़ता है, तो इसे आयात बढ़ने के शानदार आंकड़े की तरह पेश नहीं किया जा सकता। सचाई तो यह है कि पाम, पामोलीन तेल के आयात की कमी को सूरजमुखी, सोयाबीन जैसे सॉफ्ट ऑयल के आयात में मामूली वृद्धि से पाटना मुश्किल है। त्योहार और शादी-विवाह के मौसम में बंदरगाहों पर खाद्य तेलों की कमी बरकरार है। देशी तेल पेराई मिलें बंद हो रही हैं। किसानों की उपज खप नहीं रही है और आम उपभोक्ता को थोक दाम से नहीं खुदरा दाम से मतलब होता है तो खुदरा दाम उन्हें महंगे में चुकाना पड़ रहा है। इन आंकड़ों को कौन पेश करेगा?
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,385-5,425 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,105-6,380 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,240-2,505 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,730-1,830 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,730 -1,845 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,830 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,675 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,900-4,920 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,700-4,740 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
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