
नयी दिल्ली, 17 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख निर्धारित की।
उन पर निजी पक्षों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिग्रहित की गई भूमि गैर अधिसूचित करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उसे इस कानूनी प्रश्न पर निर्णय करने की आवश्यकता है कि अभियोजन की मंजूरी के अभाव में पहली शिकायत खारिज होने के बाद भी, पद पर रहते हुए कथित अपराध के लिए पूर्व लोक सेवक के खिलाफ दूसरी शिकायत दर्ज की जानी चाहिए या नहीं।
येदियुरप्पा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला बहाल करने का आदेश नहीं दे सकता क्योंकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के 2018 के संशोधन के तहत अभी भी मंजूरी की आवश्यकता है।
उन्होंने पीठ को बताया कि शुरूआत में 2012 में ए. आलम पाशा द्वारा एक निजी शिकायत दायर की गई थी, जिसमें निजी पक्षों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिग्रहित भूमि के एक हिस्से को गैर-अधिसूचित करने का आरोप लगाया गया था। येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ऐसा किया था।
वर्ष 2012 की शिकायत को अदालत ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि भाजपा नेता पर मुकदमा चलाने के लिए कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी।
लूथरा ने कहा कि 2014 में, जब येदियुरप्पा ने पद छोड़ा तो पहली शिकायत के समान ही दूसरी शिकायत दायर की गई थी, लेकिन 2016 में निचली अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पूर्व मंजूरी की आवश्यकता के कारण इसे खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने 5 जनवरी 2021 को पाशा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया और येदियुरप्पा सहित चार आरोपियों में से तीन से संबंधित, अतिरिक्त नगर दीवानी और सत्र न्यायाधीश के 26 अगस्त 2016 के आदेश को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने उक्त आदेश में उनके खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया था।
लूथरा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की फाइलों में आपराधिक शिकायत को बहाल कर दिया।
पीठ ने कहा कि सुनवाई के लिए कई मामले सूचीबद्ध हैं और वह प्रत्येक मामले के तथ्यों में अंतर करने में असमर्थ है।
इसने लूथरा से याचिकाओं में कानून के प्रश्न को तैयार करने और प्रत्येक मामले पर संक्षिप्त प्रस्तुतियां दाखिल करने को कहा।
वरिष्ठ वकील ने कहा कि येदियुरप्पा से जुड़े मामलों के पांच सेट थे, जिनमें से मुख्य मामला उच्च न्यायालय के 5 जनवरी 2021 के आदेश से उत्पन्न हुआ था।
कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि चूंकि अदालत कानून के प्रश्न पर विचार करेगी, इसलिए उसे भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए और दलीलें पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
लूथरा ने राज्य सरकार की दलील का विरोध करते हुए कहा कि यह मामला एक निजी शिकायत से उपजा है और राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
हालांकि, पीठ ने कर्नाटक सरकार को दलीलें पेश करने की अनुमति दी, लेकिन केवल कानून के प्रश्न पर।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत में दलील पेश करने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
उच्चतम न्यायालय ने 27 जनवरी 2021 को येदियुरप्पा और पूर्व उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी को राज्य में एक भूखंड की मंजूरी वापस लेने को लेकर कथित जालसाजी से संबंधित मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था।
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