इंदौर, पांच मई कांग्रेस पर पिछले 10 साल से लगातार नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को कहा कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र में चुनावी दौड़ से बाहर हुए प्रमुख विपक्षी दल की ‘‘नोटा’’ की अपील बेअसर रहेगी।
कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने इंदौर में पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे।
इसके बाद कांग्रेस ने बाकायदा अभियान शुरू करके मतदाताओं से अपील करनी शुरू कर दी है कि वे "भाजपा को सबक सिखाने के लिए" इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर "नोटा" (उपरोक्त में से कोई नहीं) पर बटन दबाएं।
विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से कहा,‘‘इंदौर में नोटा के लिए कांग्रेस का आह्वान 100 प्रतिशत नकारात्मक है। इस आह्वान पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि कांग्रेस पिछले 10 साल में देश भर में नकारात्मक राजनीति कर रही है।"
उन्होंने दावा किया कि इंदौर में कांग्रेस की ‘‘नोटा’’ की अपील का मतदाताओं पर कोई असर नहीं होगा और निवर्तमान सांसद व भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी आठ लाख मतों से ज्यादा के अंतर से चुनाव जीतेंगे।
विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार बम ने जब भाजपा में आने का फैसला कर लिया था, तब उन्होंने उन्हें सुझाया था कि वह अपने प्रस्तावक को जिला निर्वाचन कार्यालय भेजकर नाम वापस ले सकते हैं।
उन्होंने कहा,‘‘..लेकिन बम ने मुझसे कहा कि वह खुद जिला निर्वाचन कार्यालय जाकर अपना पर्चा वापस लेना चाहते हैं ताकि वह कांग्रेस को संदेश दे सकें कि वह बिना किसी दबाव के पार्टी छोड़ रहे हैं।’’
बम के पर्चा वापस लेने के घटनाक्रम पर वरिष्ठ भाजपा नेता सुमित्रा महाजन ने सवाल उठाए हैं। विजयवर्गीय ने इस बारे में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कहा,‘‘ताई (महाजन का लोकप्रिय उपनाम) हमारी सर्वोच्च नेता हैं। हम सब उनका आदर करते हैं। इसलिए मैं उनके किसी बयान से जुड़े सवाल का जवाब देना उचित नहीं मानता।’’
उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए दावा किया कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ कुछ ऐसे लोग पिछले दिनों कांग्रेस से भाजपा में आना चाहते थे जिनके लिए भाजपा के दरवाजे बंद होने चाहिए।
विजयवर्गीय ने कहा,‘‘कमलनाथ बहुत अच्छे आदमी हैं और अगर वह अकेले (भाजपा में) आते, तो मैं उनका स्वागत करता ...पर भाजपा कोई ‘डस्टबिन’ नहीं है जो सारे कचरों को भी साथ में ले ले।’’
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