कांग्रेस का बड़ा पहल, प्रवासी श्रमिकों के रेल किराए का उठाएगी खर्च
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी श्रमिकों से ‘रेलवे द्वारा किराया वसूले जाने’ को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि अब इन मजदूरों के लौटने पर होने वाले खर्च का वहन पार्टी की प्रदेश इकाइयां करेंगी. उन्होंने कहा कि यह मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का योगदान होगा.
नई दिल्ली, 4 मई: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी श्रमिकों से ‘रेलवे द्वारा किराया वसूले जाने’ को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि अब इन मजदूरों के लौटने पर होने वाले खर्च का वहन पार्टी की प्रदेश इकाइयां करेंगी.
उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब रेल मंत्रालय ‘पीएम केयर्स’ (PM Cares) कोष में 151 करोड़ रुपये का योगदान दे सकता है तो श्रमिकों को बिना किराये के यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता?
सोनिया की इस घोषणा के बाद पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों से श्रमिकों की मदद के संदर्भ में बात की.
बाद में वेणुगोपाल ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, "प्रदेश कांग्रेस इकाइयां संबंधित राज्य की सरकार और मुख्य सचिवों के साथ बातचीत करेंगी और श्रमिकों के रेल किराये का जो खर्च होगा उसका भुगतान करेंगी." उन्होंने यह दावा भी किया कि रेलवे ने एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि श्रमिकों से किराया वसूला जाएगा. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘पीएम केयर्स कोष’ से श्रमिकों की मदद करनी चाहिए, लेकिन अगर वह तैयार नहीं हैं तो कांग्रेस अपने सीमित संसाधन में ही मदद के लिए पूरी तरह तैयार है.
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उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब सरकार मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कारोबारियों के 68000 करोड़ रुपये ‘‘माफ कर सकती है’’ तो फिर प्रवासी श्रमिकों की मदद क्यों नहीं कर सकती? इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बयान में कहा, "1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए. न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन."
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांप गया और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है?’’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज भी लाखों श्रमिक व कामगार देश के अलग-अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा. दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं.
उन्होंने सवाल किया, "जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस ला सकते हैं, जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?"
सोनिया ने कहा, "कांग्रेस ने कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है. दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने. इसलिए कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे में जरूरी कदम उठाएगी." उन्होंने कहा कि यह मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का योगदान होगा.
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