रायपुर, आठ मार्च छत्तीसगढ़ के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए पुराने नेताओं के साथ एक चेहरे पर भरोसा जताया है।
पार्टी ने शुक्रवार को राज्य के जिन छह प्रत्याशियों की सूची जारी की है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और मौजूदा सांसद शामिल हैं।
कांग्रेस ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से छह के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। कुल छह उम्मीदवारों में से चार अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं और एक अनुसूचित जाति समुदाय से हैं।
उम्मीदवारों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (राजनांदगांव), पूर्व विधायक विकास उपाध्याय (रायपुर), पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू (महासमुंद), पूर्व मंत्री शिव डहरिया (जांजगीर-चांपा), मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत (कोरबा) और नए चेहरे राजेंद्र साहू (दुर्ग) शामिल हैं।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य की सभी 11 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर चुकी है।।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे भूपेश बघेल 2018 से 2023 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।
बासठ वर्षीय बघेल राज्य के प्रभावशाली ओबीसी समुदाय कुर्मी से आते हैं। बघेल पाटन विधानसभा सीट से विधायक हैं।
साल 2018 में जब 15 साल के भाजपा शासन के बाद कांग्रेस सत्ता में आई थी तब बघेल ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ में टीएस सिंह देव, चरण दास महंत और ताम्रध्वज साहू जैसे प्रभावशाली नेताओं को पछाड़ दिया था और वह मुख्यमंत्री बन गए थे।
राज्य में पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया था लेकिन चुनाव प्रचार उनके इर्दगिर्द ही केंद्रित रहा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा।
छह बार विधायक रहे बघेल ने 2009 में रायपुर सीट से और 2004 में दुर्ग सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। इस बार उनका मुकाबला राजनांदगांव से भाजपा के मौजूदा सांसद संतोष पांडेय से है।
राजनांदगांव पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह का भी क्षेत्र है। यहां से बघेल के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है।
दो अन्य उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू और शिवकुमार डहरिया पिछली बघेल सरकार में मंत्री थे और दोनों पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे।
साहू राज्य में संख्यात्मक रूप से प्रभावशाली तेली समाज से आते हैं। उन्हें साहू बहुल महासमुंद सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। चार बार विधायक रहे साहू 2014 में दुर्ग सीट से लोकसभा के लिए भी चुने गए थे।
ताम्रध्वज साहू का मुकाबला भाजपा की महिला उम्मीदवार रूपकुमारी चौधरी से होगा। चौधरी पूर्व में विधायक रह चुकी हैं।
राज्य में सतनामी (अनुसूचित जाति) समाज के प्रभावशाली नेता डहरिया को कांग्रेस ने आरक्षित जांजगीर-चांपा सीट से मैदान में उतारा है। वह तीन बार विधायक रह चुके हैं।
डहरिया का मुकाबला भाजपा की महिला उम्मीदवार कमलेश जांगड़े से है।
कांग्रेस पार्टी ने महत्वपूर्ण रायपुर लोकसभा सीट से ब्राह्मण समाज से विकास उपाध्याय को टिकट दिया है। उपाध्याय 2018 में पहली बार विधायक चुने गए थे। वह रायपुर शहर पश्चिम विधानसभा सीट से पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे।
उपाध्याय का मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता और राज्य सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से है।
पार्टी ने कोरबा से मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत पर एक बार फिर भरोसा जताया है। वह कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत की पत्नी हैं। चरण दास महंत राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
महंत का मुकाबला भाजपा की वरिष्ठ नेता सरोज पांडेय से है। पांडेय ने हाल ही में राज्यसभा का अपना कार्यकाल पूरा किया है।
दुर्ग सीट पर कांग्रेस ने नए चेहरे राजेंद्र साहू को चुनाव मैदान में उतारा है। राजेंद्र साहू का मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद विजय बघेल से है।
साल 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने राज्य की 11 में से नौ सीटों पर जीत हासिल की थी। गत चुनाव में कांग्रेस बस्तर और कोरबा सीट ही जीत सकी थी।
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