इस्लामाबाद, चार अक्टूबर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने बुधवार को फैसला सुनाया कि गोपनीय राजनयिक दस्तावेज (सिफर) का खुलासा करने के मामले में जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जमानत याचिका पर नौ अक्टूबर को खुली अदालत में सुनवाई होगी।
इसी के साथ उच्च न्यायालय ने देश की शीर्ष जांच एजेंसी की उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें जमानत याचिका पर बंद कमरे में कार्यवाही करने की मांग की गई थी।
पिछले साल मार्च में वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास द्वारा भेजे गए एक गुप्त राजनयिक दस्तावेज(सिफर) का खुलासा करके सरकारी गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज होने के बाद इमरान खान (70) को अगस्त में गिरफ्तार किया गया था।
पिछले हफ्ते, संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में खान की जमानत याचिका पर बंद कमरे में कार्यवाही की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी।
इसमें कहा गया कि सरकारी गोपनीय दस्तावेज के कथित खुलासे से संबंधित मामले में खुली सुनवाई से अन्य देशों के साथ ‘संबंध खराब होने का खतरा’ पैदा हो सकता है।
खान और उनके करीबी सहयोगी शाह महमूद कुरैशी को शीर्ष जांच एजेंसी ने मामले में ‘मुख्य आरोपी’ नामित किया है।
दोनों नेताओं की न्यायिक हिरासत 26 सितंबर को 10 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई थी। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार खान को अटक जिला जेल से रावलपिंडी की अदियाला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
आईएचसी ने बुधवार को फैसला सुनाया कि जमानत याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी।
हालांकि, अदालत ने कहा कि मामले के संबंध में ‘संवेदनशील जानकारी’ बंद कमरे में दी जाएगी। विशेष अदालत के न्यायाधीश अबुल हसनत जुल्करनैन की अगुवाई में अदियाला जेल में सुनवाई हुई जहां पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष खान और उपाध्यक्ष कुरैशी वर्तमान में कैद हैं।
अदालत ने खान की जमानत याचिका पर बंद कमरे में कार्यवाही की एफआईए की याचिका पर इस सप्ताह की शुरुआत में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस बीच, पीटीआई के वकील सलमान सफदर ने सिफर मामले में इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री कुरैशी के खिलाफ बंद कमरे में सुनवाई को ‘असंवैधानिक’ करार दिया।
सफदर ने जेल के बाहर कहा, ‘‘मामले की सुनवाई बंद दरवाजे के पीछे नहीं होनी चाहिए। यह असंवैधानिक है।’’
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