प्रयागराज, 29 अगस्त इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को मथुरा की एक अदालत को श्री कृष्ण जन्मभूमि पर लंबित याचिका पर चार महीने में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया और इस याचिका को निस्तारित किया।
मथुरा की एक अदालत में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का पुरातत्व सर्वेक्षण कराने के अनुरोध के साथ एक याचिका लंबित है, जिसका तेजी से निस्तारण करने का निर्देश मथुरा की अदालत को देने के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय में यह याचिका दाखिल की गई थी।
याचिकाकर्ता ने अदालत से मथुरा में 2021 से लंबित मूल वाद (श्री कृष्ण विराजमान एवं अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एवं अन्य) में 13 मई, 2022 के आवेदन पर निर्णय करने का निर्देश सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा को देने की गुहार लगाई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि चूंकि यह आवेदन विचाराधीन है, याचिकाकर्ता को अपूर्णीय क्षति हो रही है। इस पर अदालत ने कहा, “इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए और इस मुद्दे के गुण दोष पर बिना कोई राय व्यक्त किए निचली अदालत को 13 मई, 2022 के आवेदन पर चार महीने के भीतर कानून के मुताबिक विचार कर निर्णय करने का निर्देश जारी करने के साथ मौजूदा याचिका को निस्तारित किया जाता है।”
याचिका में दावा किया गया है कि विवादित परिसर पहले एक मंदिर था और शाही ईदगाह का निर्माण उस मंदिर को तोड़कर किया गया है। याचिका के मुताबिक कंस ने द्वापर युग में उस जगह पर जहां आज मस्जिद है, श्री कृष्ण के माता पिता को बंदी बनाया था और वहीं भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
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