विदेश की खबरें | भारत की सीमा पर चीन की कार्रवाई सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के व्यवहार का हिस्सा : पोम्पिओ

नयी दिल्ली, दो जून अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि भारत की सीमा या हांगकांग या दक्षिण चीन सागर में चीन की कार्रवाई हाल के दिनों में बीजिंग में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के व्यवहार का हिस्सा है।

पर्वतीय पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास कई इलाकों में भारत और चीन के सैनिकों के बीच चार हफ्तों तक गतिरोध कायम रहा। दोनों देश विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं।

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पोम्पिओ ने एक कार्यक्रम में कहा कि हम आज भी भारतीय सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी सैनिकों की बढ़ती संख्या देख सकते हैं।

उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना वुहान से शुरू कोरोना वायरस महामारी पर वैश्विक प्रतिक्रिया को देर करने के साथ ही छिपाने और उसे उलझाने में लगी हुयी है। उसने हांगकांग के लोगों की स्वतंत्रता को नष्ट करने वाली कार्रवाई की है। वह हांगकांग से जुड़े एक विवादास्पद कानून का जिक्र कर रहे थे।

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उन्होंने कहा, ‘‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस शासन के व्यवहार के वे सिर्फ दो हिस्से हैं। प्रकृति और वे जो कर रहे हैं, वह गतिविधि, बौद्धिक संपदा की चोरी करने के लिए निरंतर प्रयास, दक्षिण चीन सागर में आगे बढ़ना ...।’’

कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में 3,75,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और 62 लाख से अधिक लोग संकमित हुए हैं। अमेरिका में 1,00,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस महामारी ने चीन और अमेरिका के बीच के तनाव को और बढ़ा दिया है। अमेरिका का दावा है कि यह वायरस वुहान में एक प्रयोगशाला से आया है।

पोम्पिओ ने कहा कि ये सभी ऐसे कार्य हैं जो अधिनायकवादी शासन में किए जाते हैं। उनका वास्तविक असर न केवल चीन में चीनी लोगों पर और हांगकांग में वहां के लोगों पर होता है, बल्कि दुनिया भर के लोगों पर एक वास्तविक प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने कहा कि उसे वापस धकेलने के साथ ही अमेरिका की जिम्मेदारी है कि वह अमेरिकी लोगों के लिए ऐसी विदेश नीति सुनिश्चित करे जो चीन से पैदा होने वाले खतरों को पहचानने में सक्षम हो।

एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि हाल की चीनी कार्रवाई, चाहे वह भारत की सीमा पर हों, या हांगकांग या दक्षिण चीन सागर में, हाल के दिनों में चीनी व्यवहार का हिस्सा रही हैं।

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पिछले छह महीनों से नहीं है। हमने देखा है कि पिछले कई वर्षों से चीनी अपनी सैन्य क्षमताओं का निर्माण कर रहे हैं और उसके बाद लगातार आक्रामक कार्रवाई कर रहे हैं।

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