Chhattisgarh Election Results 2023: केवल बिलासपुर संभाग में मिली कांग्रेस को बढ़त

छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस को बिलासपुर संभाग में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अधिक सीटें मिली हैं. राज्य निर्माण के बाद यह पहली बार है कि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी सीट से चुनाव नहीं जीत सका.

Congress Photo Credits PTI

रायपुर, 5 दिसंबर : छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस को बिलासपुर संभाग में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अधिक सीटें मिली हैं. राज्य निर्माण के बाद यह पहली बार है कि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी सीट से चुनाव नहीं जीत सका. छत्तीसगढ़ के पांच संभागों में से एक बिलासपुर संभाग में सबसे अधिक 25 सीटें हैं. इसके बाद दुर्ग में 20, रायपुर में 19, सरगुजा में 14 और बस्तर संभाग में 12 सीटें हैं. इस चुनाव में बिलासपुर संभाग में कांग्रेस ने 14 सीटें जीतीं तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झोली में 10 सीटें गई. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) ने एक सीट पर जीत हासिल की है. इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने दुर्ग संभाग में 10-10 सीटें जीती हैं जबकि तीन अन्य संभागों में भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई है. इन संभागों में से सरगुजा संभाग में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा है. आदिवासी बहुल सरगुजा क्षेत्र की सभी 14 सीट पर भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं. इस क्षेत्र में हार को कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. एक अन्य आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में भाजपा ने आठ सीटें और कांग्रेस ने चार सीटें जीती हैं जबकि रायपुर संभाग में भाजपा ने 12 और कांग्रेस ने सात सीटों पर जीत हासिल की है.

2018 के चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली कांग्रेस बिलासपुर संभाग में एकतरफा जीत हासिल करने में असफल रही थी. इस क्षेत्र में भाजपा ने लगभग आधी सीट पर जीत हासिल की थी. इस बार मंत्री उमेश पटेल (खरसिया सीट) और पूर्व केंद्रीय मंत्री और निवर्तमान विधानसभा के अध्यक्ष चरण दास महंत (सक्ती) उन प्रमुख कांग्रेस उम्मीदवारों में से हैं जिन्होंने बिलासपुर संभाग में जीत हासिल की है. वहीं, मंत्री जय सिंह अग्रवाल (कोरबा) और पांच अन्य मौजूदा विधायक कांग्रेस के उन प्रमुख उम्मीदवारों में से हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा. भाजपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर के सांसद अरुण साव ने लोरमी सीट पर 45 हजार से अधिक के अंतर से जीत हासिल की है. साथ ही भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी ओपी चौधरी ने रायगढ़ सीट पर 64 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की. भाजपा के लिए इस क्षेत्र का सबसे बड़ा उलटफेर जांजगीर चांपा से विपक्ष के नेता नारायण चंदेल की हार है. पूर्ववर्ती शाही परिवार के सदस्य प्रबल प्रताप सिंह जूदेव और संयोगिता युद्धवीर सिंह जूदेव भी क्रमशः कोटा और चंद्रपुर से हार गए. यह भी पढ़ें : Modi Government Big Action On Khalistani’s: ED ने राजस्थान और हरियाणा में खालिस्तानी-गैंगस्टर नेक्सस की तोड़ी कमर, 12 जगहों पर मारे छापे

इस चुनाव में राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा स्थापित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रभाव में भी गिरावट देखी गई क्योंकि दोनों दल इस बार अपना खाता खोलने में विफल रहे. जेसीसी (जे) ने 2018 का चुनाव बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा था और सात सीटें हासिल की थीं. 2018 में जेसीसी (जे) ने 7.61 प्रतिशत वोट हासिल कर पांच सीटें जीती थीं, जबकि बसपा ने 3.87 मत प्रतिशत के साथ दो सीटें हासिल की थीं. इन सात सीटों में से पांच कोटा, लोरमी, मरवाही (जोगी की पार्टी द्वारा जीती गई), जैजैपुर और पामगढ़ (बसपा द्वारा जीती गई) बिलासपुर संभाग में है. दिवंगत अजीत जोगी की पत्नी और विधायक रेणु जोगी कोटा से चुनाव हार गई हैं तथा 8,884 वोटों के साथ उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है. अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी (अमित जोगी की पत्नी) भी अकलतरा से हार गईं और वह भी तीसरे स्थान पर रहीं. जोगी की पार्टी का मत प्रतिशत भी इस बार घटकर 1.23 फीसदी रह गया. इस चुनाव में बसपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. बसपा के दोनों मौजूदा विधायक केशव चंद्रा (जैजैपुर) और इंदु बंजारे (पामगढ़) अपनी मौजूदा सीटें कांग्रेस से हार गए और तीसरे स्थान पर रहे.

बसपा का मत प्रतिशत भी 3.87 प्रतिशत (2018) से घटकर 2.05 फीसदी (2023) रह गया. दिलचस्प बात यह है कि जीजीपी, जो 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से बिलासपुर और सरगुजा संभागों की कई सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, पहली बार विजयी हुई. बिलासपुर संभाग की पाली तानाखार सीट पर तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम ने कांग्रेस की दुलेश्वरी सिदार को 714 वोटों से हराया है. मरकाम के पिता और पूर्व विधायक हीरा सिंह मरकाम ने 1991 में जीजीपी की स्थापना की थी. मध्य छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख आदिवासी नेता हीरा सिंह मरकाम 1985 में पहली बार भाजपा के टिकट पर अविभाजित मध्य प्रदेश के तानाखार निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे. उनका निधन 2020 में हो गया था.

उन्होंने 1991 में अपनी खुद की पार्टी जीजीपी बनाई और बाद में 1996 और 1998 में उसी तानाखार सीट से दो बार विधायक चुने गए. 2008 में परिसीमन के बाद तानाखार सीट पाली-तानाखार बन गई. छत्तीसगढ़ चुनाव में भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 54 सीटें जीतकर बड़ी जीत दर्ज की है. कांग्रेस को 35 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को एक सीट मिली है.

Share Now