देहरादून, आठ जून उत्तराखंड में चारधाम, देहरादून नगर निगम तथा निषिद्ध क्षेत्र जोन में स्थित धार्मिक स्थलों को छोड़कर अन्य धर्मस्थल सोमवार को श्रद्धालुओं के लिए खुल गए लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के डर से दर्शनार्थियों की संख्या बहुत कम रही।
ऋषिकेश स्थित प्राचीन व पौराणिक नीलकण्ठ मन्दिर भी सोमवार को नहीं खुला। नीलकंठ मंदिर के महंत सुभाष पुरी ने पहले से ही स्थानीय जनता के साथ फिलहाल मंदिर नहीं खोलने को लेकर सहमति बनाई हुई है और इस संबंध में प्रशासन को भी अवगत कराया हुआ है।
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हालांकि, पौराणिक वीरभद्र महादेव मंदिर व कुंजापुरी सिद्धपीठ मन्दिर धार्मिक अनुष्ठानों के बीच खुल गए लेकिन श्रद्धालुओं की आमद सामान्य दिनों की अपेक्षा नगण्य रही।
उधर, हरिद्वार में भी मठ, मंदिर तथा गंगा घाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गये लेकिन बहुत ही कम संख्या में श्रद्धालु पूजा करने के लिए आए।
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गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि कोरोना वायरस के भय के कारण श्रद्धालुओं का आगमन बहुत सीमित संख्या में हो रहा है।
इस बीच, चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम में पंडा पुजारियों ने कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल यात्रा को 30 जून तक स्थगित रखने का निर्णय लिया है। गोपेश्वर में चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एक बैठक में मंदिर व्यवस्था से जुडे लोगों ने एकमत से यह निर्णय लिया।
जिलाधिकारी स्वाति ने बताया कि बैठक में सभी पक्षों की ओर से फिलहाल यात्रा को रोके जाने की राय थी। उन्होंने बताया कि 30 जून तक बदरीनाथ मंदिर में यात्रियों का प्रवेश स्थगित रखे जाने की सिफारिश चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भेजी जा रही है और उनके निर्णय से ही आगे की व्यवस्थाएं होंगी।
राज्य सरकार ने रविवार देर रात चारधाम के मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए खोले के संबंध में जिला प्रशासन और स्थानीय हितधारकों से राय-मशविरा से निर्णय लेने का अधिकार नवगठित चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर छोड दिया है।
सरकार ने हांलांकि अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि बाहर के प्रदेशों से श्रद्धालुओं को आने की अभी अनुमति नहीं दी गयी है।
बदरीनाथ मंदिर के अलावा यमुनोत्री, जागेश्वर, चितई गोलू देवता आदि मंदिरों के पुजारियों ने भी सरकार से फिलहाल यात्रा स्थगित रखने का सरकार से आग्रह किया है।
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