बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी
चरणजीत सिंह चन्नी (Photo Credits FB)

नयी दिल्ली, 26 सितंबर : दलितों के हितों के पैरोकार माने जाने वाले पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) राजनीति के माहिर खिलाड़ी तो हैं ही, साथ ही वह हैंडबॉल खेल में भी कुशल हैं और भांगड़ा तो गजब का करते हैं. छात्र जीवन में हैंडबॉल में वह तीन बार पंजाब विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. उनके मित्रों का कहना है कि चन्नी को ज्योतिष पर अत्यधिक विश्वास है और इसी के चलते वह प्राय: विवादों में भी घिरते रहे हैं. भांगड़ा का तो उन्हें इतना शौक है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद कपूरथला में आईके गुजराल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के एक समारोह में उन्होंने भांगड़ा प्रस्तुत कर रहे छात्रों के साथ मंच पर भांगड़ा किया और उनका यह वीडियो काफी वायरल हुआ. विवादों से भी उनका चोली-दामन का साथ रहा है. इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में अमरिंदर सिंह सरकार में शामिल किए जाने के कुछ ही दिन बाद उन्होंने ज्योतिषी की सलाह पर चंडीगढ़ के सेक्टर दो में स्थित अपने घर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में करने के लिए एक पार्क से होते हुए गैर कानूनी तरीके से सड़क का निर्माण करवा दिया था. हालांकि कुछ ही घंटों के भीतर चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे ध्वस्त कर दिया था.

मीडिया में आईं खबरों के अनुसार, चन्नी के मित्रों का कहना है कि राजनीति में अपना सितारा बुलंद रखने के लिए वह प्राय: ‘अजीबोगरीब’ काम करते रहते हैं. ज्योतिषी की सलाह पर ही वह एक बार खरड़ में अपने घर के बगीचे में हाथी पर सवार होकर निकले थे. उनकी शख्सियत की एक खास बात यह भी है कि वह अपनी कार स्वयं चलाना पसंद करते हैं और सफर के दौरान टैक्स का नियमित रूप से भुगतान करते रहे हैं. उन्हें यात्राएं करने का भी बहुत शौक है और जब बात उनके पसंदीदा देशों की आती है तो इनमें उन्हें दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, दुबई और इंग्लैंड घूमना पसंद है. चन्नी यौन शोषण के खिलाफ चलाए गए ‘मी टू’ अभियान की चपेट में भी आए थे जब एक महिला आईपीएस अधिकारी द्वारा उनके खिलाफ आरोप लगाए गए थे. नवंबर 2018 में महिला अधिकारी ने चन्नी पर उन्हें अभद्र संदेश भेजने का आरोप लगाया था. हालांकि इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई थी.

मुख्यमंत्री चन्नी को शिक्षा और राजनीति से गहरा लगाव है. खरड़ के खालसा सीनियर सेकंडरी स्कूल से जब वह मैट्रिक कर रहे थे तो उसी समय पहली बार राजनीति में उन्होंने कदम रखा और छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए. यह सिलसिला चंडीगढ़ में श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज में स्नातक के दौरान भी जारी रहा जहां वह छात्र यूनियन के महासचिव निर्वाचित हुए. छात्र जीवन में चन्नी ने एनसीसी, एनएसएस और सांस्कृतिक गतिविधियों में हमेशा आगे बढ़कर भाग लिया. चमकौर साहिब में एक मार्च, 1963 को जन्मे और दो स्नातकोत्तर डिग्रीधारी चन्नी प्रशिक्षित वकील भी हैं. जब पहली बार वह चमकौर साहिब से विधायक निर्वाचित हुए तो राजनीतिक व्यस्तता के बावजूद उन्होंने समय निकालकर पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. 2016 में कांग्रेस विधायक दल का नेता रहते हुए उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर पूरा किया.

चरणजीत सिंह चन्नी ने एक बार कहा था, ‘‘ मैं क्वालीफिकेशन के लिए नहीं पढ़ता, मैं इसलिए पढ़ता हूं क्योंकि मुझे पढ़ाई से प्रेम है.’’ ऐसा भी सुनने में आया था कि वह पंजाब विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर पीएचडी करने के लिए दाखिला लेने के इच्छुक थे. लेकिन वह प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं हो सके. हालांकि मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि बाद में पंजाब विश्वविद्यालय प्रशासन ने तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री के सपने को पूरा करने के लिए नियमों में ढील भी दे दी थी.

चरणजीत सिंह चन्नी को शिक्षा से यह गहरा प्रेम अपने पिता हरसा सिंह से विरासत में मिला है. गरीबी के चलते हरसा सिंह काम के सिलसिले में कुछ समय के लिए मलेशिया चले गए और पैसा कमाकर लौटे. उन्होंने खरड़ लौटने पर टेंट हाउस का काम शुरू किया जिसमें बचपन में चरणजीत सिंह चन्नी ने भी अपने पिता की मदद की. अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए हरसा सिंह अपने पैतृक गांव मकरोना कलां से खरड़ आकर बस गए थे. शैक्षणिक रूप से उनके उत्थान में उनके बड़े भाई मनमोहन सिंह का भी परोक्ष योगदान रहा. मनमोहन सिंह ने ओवरसियर के रूप में सरकारी नौकरी शुरू की और वह नौकरी के साथ ही स्नातक, बी टेक और कानून स्नातक की डिग्री हासिल करते हुए मुख्य अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए. यह भी पढ़ें : कश्मीर के भाजपा नेता की हत्या में शामिल आतंकवादी मुठभेड़ में मारा गया

उनके दूसरे बड़े भाई डॉ. मनोहर सिंह पंजाब सरकार में चिकित्सा विशेषज्ञ हैं और तीसरे भाई सुखवंत सिंह उनकी ही तरह राजनीति में सक्रिय हैं. उनकी दो बहनें भी हैं जिनमें से एक का नाम सुरिन्दर कौर है. पारिवारिक व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले चन्नी की पत्नी कमलजीत पेशे से डॉक्टर हैं और उनके दो बच्चे हैं. उनका बड़ा बेटा नवजीत सिंह अपने पिता की तरह कानून की पढ़ाई कर रहा है. उनकी औपचारिक राजनीतिक यात्रा 2002 में खरड़ नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में शुरू हुई. उन्होंने 2007 का विधानसभा चुनाव चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार के रूप में लड़ा और निर्दलीय के रूप में जीत हासिल करने में सफल रहे. 2012 में, वह कांग्रेस में शामिल हो गए और सीट जीती. 2016 में, उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले खेमे की इच्छा के खिलाफ पंजाब विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया था. पंजाब के रामदासिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चन्नी ने बहुत पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के खिलाफ यह कहकर बगावत का बिगुल बजा दिया था कि पार्टी के प्रति दलितों के व्यापक समर्थन को देखते हुए कैबिनेट में उन्हें ज्यादा प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाए. राजनीति में मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने का श्रेय केवल चरणजीत सिंह चन्नी की अपनी मेहनत और काबिलियत को जाता है.