नयी दिल्ली, एक फरवरी आम आदमी पार्टी (आप) के एक पार्षद ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसने चंडीगढ़ में नए महापौर चुनाव की मांग करने वाली पार्टी को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर सिंह और न्यायमूर्ति हर्ष बंगर की खंडपीठ ने बुधवार को आम आदमी पार्टी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। आप ने मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था और अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में नए सिरे से चुनाव कराने का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय ने याचिका पर चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
महापौर चुनाव में उम्मीदवार रहे आप पार्षद कुलदीप कुमार ने अंतरिम राहत से इनकार करने और याचिका को तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव में जीत हासिल करने के साथ तीन महत्वपूर्ण पद पर अपना कब्जा कायम रख। इस नतीजे से कांग्रेस-आप गठबंधन को झटका लगा, जिसने पीठासीन अधिकारी पर मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम, पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह और नवनिर्वाचित महापौर मनोज सोनकर सहित अन्य को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। उच्च न्यायालय में मामला 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
कांग्रेस और आप ने 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में अपने गठबंधन की आसान जीत का अनुमान जताया था और इसे लोकसभा चुनाव से पहले ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए शुरुआती इम्तिहान के रूप में पेश किया था। हालांकि भाजपा ने उन तीनों शीर्ष पदों पर कब्जा बरकरार रखा जिनके लिए चुनाव हुए थे।
विपक्षी पार्षदों ने पीठासीन अधिकारी मसीह पर मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया। इस आरोप को मसीह और भाजपा ने खारिज कर दिया।
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