कोलकाता, 22 दिसंबर पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हकीम ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश से लगातार हो रही घुसपैठ के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
हकीम का यह बयान, अंसार-अल-इस्लाम बांग्लादेश के संदिग्ध सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल सरकार पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा किए गए हमले के मद्देनजर आया है । यह संगठन कथित तौर पर राज्य में आतंकवादी संगठन का नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहा है।
हकीम से उन खबरों के बारे में पूछा गया था कि गिरफ्तार किए गए आठ आतंकवादियों में से दो मुर्शिदाबाद जिले में एक ‘स्लीपर सेल’ स्थापित करने के लिए काम कर रहे थे और उनमें से एक बांग्लादेशी नागरिक ने विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फर्जी पहचान पत्र और पासपोर्ट भी हासिल कर लिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय पर है, जिसका नेतृत्व अमित शाह कर रहे हैं। वह बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं? सीमा सुरक्षा बल बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ रोकने में सफल क्यों नहीं हो रहा है?’’
हकीम ने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम केंद्र से लगातार सीमा पर निगरानी बढ़ाने के लिए कह रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि शाह देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने ताकतों की घुसपैठ रोकने के बजाय बी आर आंबेडकर को कमतर करने और अपनी दलित विरोधी मानसिकता दिखाने में ज्यादा व्यस्त हैं।’’ हकीम का इशारा इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में शाह द्वारा की गई कुछ टिप्पणी की ओर था, जिसके बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित विपक्षी दलों ने शाह और भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया और देश भर में विरोध प्रदर्शन किया।
हकीम ने कहा कि राज्य पुलिस ने विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर अन्य राज्यों के पुलिस बलों के साथ मिलकर आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया और दिखाया कि राज्य प्रशासन सभी ‘‘पड़ोसी देशों के षड्यंत्रकारियों और उनके सहयोगियों’’ का सफाया करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी विध्वंसक गतिविधि और घुसपैठ के प्रति कत्तई बर्दाश्त नहीं करने की नीति रखते हैं लेकिन केंद्र को अपना काम करते करना चाहिए।’’
भाजपा के आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मतदान अधिकार प्राप्त करने वाले अवैध घुसपैठिए टीएमसी के मतदाता आधार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं, जिससे सत्ता पर उनकी पकड़ बनी हुई है। लोकतंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस गंभीर खतरे को दूर करने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है।’’
यह दावा करते हुए कि पश्चिम बंगाल को सुरक्षा और चुनावी शुचिता संबंधी चिंता को दूर करने के लिए तत्काल अपनी मतदाता सूची में व्यापक पुनरीक्षण और सफाई की आवश्यकता है, मालवीय ने कहा, ‘‘असम पुलिस के विशेष डीजीपी हरमीत सिंह ने खुलासा किया है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद, कार्यवाहक सरकार ने अल-कायदा के दक्षिण एशियाई सहयोगी, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के नेता जसीमुद्दीन रहमानी को जेल से रिहा कर दिया। तब से, रहमानी ने भारत में एबीटी के संचालन का विस्तार करने के प्रयासों को तेज कर दिया है..।’’
मालवीय ने कहा, ‘‘फिलहाल, एबीटी की गतिविधियां मुर्शिदाबाद में केंद्रित हैं, जहां सबूतों से उनके तार आतंकी नेटवर्क के लिए महिलाओं की तस्करी से जुड़ते दिख रहे हैं। पुलिस ने हाल ही में इस समूह से जुड़े आठ आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एक चौंकाने वाली घटना में, यह पता चला है कि इन आतंकवादियों में से एक, शादा रति शेख, जो अंसारुल बांग्ला के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी के दाहिने हाथ फरहान इशराक के निर्देशन में काम कर रहा था, उसके पास पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों - कंडी और हरिहरपारा - के मतदाता पहचान पत्र हैं... उल्लेखनीय है कि बांग्लादेशी आतंकवादियों से जुड़े खगरागढ़ बम विस्फोट के बाद, उन्होंने इसे आरएसएस की साजिश बताकर खारिज कर दिया था और उनके प्रशासन ने तत्कालीन बर्धमान ओसी की निगरानी में कथित तौर पर सबूत नष्ट कर दिए थे...।’’
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा पर राष्ट्रीय सुरक्षा के गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण करने और सीमाओं की रक्षा में केंद्र की भूमिका को भूलने का आरोप लगाया।
उन्होंने आतंकवादियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने तथा अन्य राज्यों के पुलिस बलों के सहयोग से आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के लिए राज्य पुलिस की सराहना की।
शुक्रवार को एडीजी सुप्रतिम सरकार ने संवाददाताओं को बताया था कि ये दोनों पश्चिम बंगाल, केरल और असम पुलिस द्वारा पकड़े गए आठ लोगों के समूह का हिस्सा थे। सरकार ने कहा था कि पूछताछ से पता चला है कि उन्होंने सिलीगुड़ी में 'चिकन नेक कॉरिडोर' को निशाना बनाने की साजिश रची थी, जो पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
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