नयी दिल्ली, 13 जून केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने मंगलवार को राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे 12 जून के गेहूं के भंडारण की सीमा के आदेश का अनुपालन और स्टॉक का खुलासा सुनिश्चित करें, ताकि अनुचित व्यापार व्यवहार पर अंकुश लगाया जा सके।
राज्य के खाद्य सचिवों के साथ एक वर्चुअल बैठक में खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने राज्य सरकारों से कहा कि वे अनुचित प्रथाओं पर रोक लगाने और गेहूं की उपलब्धता में पारदर्शिता लाने के लिए थोक विक्रेताओं/व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी खुदरा विक्रेता श्रृंखलाओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के पास मौजूद गेहूं के स्टॉक का खुलासा करें।
केंद्र सरकार ने 12 जून को थोक विक्रेताओं, व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी खुदरा विक्रेता श्रृंखलाओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए 31 मार्च, 2024 तक गेहूं पर स्टॉक सीमा को अधिसूचित किया था। सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं और चावल को बेचने का भी फैसला किया।
एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘इन उपायों का उद्देश्य कीमतों को नरम करना और जमाखोरी एवं सट्टेबाजी पर रोक लगाना है।’’
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर ब्योरा भरने में सुगमता के लिए स्टॉक जमा करने के संबंध में एक ‘यूजर मैनुअल’ भी राज्य सरकारों के साथ साझा किया गया है।
यदि उनके पास स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें इस अधिसूचना के जारी होने के 30 दिन के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि स्टॉक सीमा के अधीन सभी संबंधित संस्थाएं उक्त पोर्टल पर प्रत्येक शुक्रवार को नियमित रूप से गेहूं की स्टॉक स्थिति की घोषणा करें और इसे अद्यतन बनाते रहें और 12 जून के आदेश के अनुसार स्टॉक सीमा के सख्त अनुपालन के लिए तुरंत निर्देश जारी करें।
बयान में कहा गया है कि उपरोक्त पोर्टल तक पहुंच उपरोक्त इकाइयों को स्टॉक का खुलासा करने के लिए दी जाएगी और राज्य सरकार के अधिकारियों को पोर्टल पर खुलासा किए गए स्टॉक की निगरानी तक पहुंच होगी।
बैठक के दौरान केंद्र ने ओएमएसएस के तहत गेहूं (पहले चरण में 15 लाख टन) और चावल को बेचने के फैसले के बारे में भी बताया, जिससे गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ उनसे प्राप्त उत्पादों के दाम के नरम पड़ने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया है, ‘‘ये कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं कि उपभोक्ताओं को गेहूं और चावल जैसे खाद्यान्न सस्ती कीमत पर मिलें।’’
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