केंद्र की राज्यों से विशेष ट्रेन चलाने की अनुमति देने की अपील
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नयी दिल्ली, दस मई केंद्र सरकार ने रविवार को सभी राज्यों से अपील की कि फंसे हुए श्रमिकों के लिए और विशेष रेलगाड़ियों के संचालन को अनुमति दें ताकि वे अगले चार दिनों के अंदर अपने घर पहुंच सकें। देश भर में छह और प्रवासियों की मौत हो गई है। प्रवासी मजदूर कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के दौरान खतरा मोलकर और कठिनाइयां सहकर यात्रा कर रहे हैं।

रेलवे ने कहा कि एक मई से इसने अभी तक 366 ऐसी ‘श्रमिक विशेष’ रेलगाड़ियों का संचालन किया है और करीब चार लाख प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाया है।

विपक्षी कांग्रेस ने सरकार से कहा कि प्रवासियों से ज्यादा सहानुभूति दिखाएं और संकट के समय उनकी रक्षा करें। कांग्रेस ने कहा कि उन्हें जो कुछ हो रहा है वह ‘‘संभवत: हमारे समय की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है।’’

केंद्र द्वारा अपने घरों तक पहुंचने के लिए फंसे श्रमिकों की खातिर विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति देने के बावजूद उनमें से कई निजी वाहनों के मार्फत अनधिकारिक रूप से यात्रा कर रहे हैं या इस गर्मी में सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं।

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में शनिवार की रात को एक ट्रक के पलट जाने से उसमें यात्रा कर रहे छह प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई और 14 अन्य जख्मी हो गए।

पुलिस ने बताया कि मजदूर आमों से लदे ट्रक में सवार होकर हैदराबाद से उत्तर प्रदेश के झांसी, एटा और बाराबंकी जा रहे थे।

इससे पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की मालगाड़ी से कुचलकर मौत हो गई। वे सभी मध्य प्रदेश से लौट रहे थे।

कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान ये प्रवासी श्रमिक बेरोजगार हो गए थे और पुलिस से बचने के लिए संभवत: रेल की पटरियों से होकर गुजर रहे थे।

दिल्ली में पुलिस ने दो ट्रकों में छिपकर अपने घर बिहार जा रहे करीब 100 मजदूरों का पता लगाया और चालकों को गिरफ्तार कर लिया।

उन्होंने बताया कि ट्रकों को दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कालिंदी कुंज में शनिवार की रात को पकड़ा गया। एक ट्रक में 63 प्रवासी मजदूर थे और दूसरे में 34 मजदूर थे।

पुलिस ने बताया के ये ट्रक लखीसराय और मधुबनी जिले जा रहे थे।

महाराष्ट्र के नासिक से गुजर रहे मुंबई-आगरा राजमार्ग पर रविवार की सुबह से यातायात जाम लगा रहा क्योंकि सैकड़ों फंसे हुए लोग मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश लौट रहे थे।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि लोग निजी वाहनों में ठूंस-ठूंसकर भरे हुए थे। उनमें से कई मास्क नहीं पहने हुए थे और कुछ सामाजिक दूरी के नियमों को धता बताते हुए एक-दूसरे के काफी करीब थे।

उन्होंने कहा कि नासिक-पुणे और नासिक- औरंगाबाद राजमार्गों पर भी लोगों को समूहों में चलते हुए और साइकिल से जाते हुए देखा गया।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सभी राज्यों से अपील की है कि प्रवासी श्रमिकों के लिए चलाई जाने वाली विशेष रेलगाड़ियों के संचालन की अनुमति दें ताकि फंसे लोग अगले तीन-चार दिनों में अपने घर पहुंच सकें।

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस तरह की रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति देने के लिए पत्र लिखने के बाद रेल मंत्री ने यह अपील की है।

गोयल ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के निर्देशों के मुताबिक रेलवे बेहद कम समय के नोटिस पर प्रतिदिन 300 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चलाने के लिए बीते छह दिनों से तैयार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी राज्यों से अपील करता हूं कि अपने फंसे श्रमिकों को निकालने और वापस लाने की अनुमति दें ताकि अगले तीन-चार दिनों में हम उन सभी को वापस घर पहुंचा सकें।’’

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि विभाग प्रतिदिन 300 रेलगाड़ियों का संचालन कर सकता है जिससे पांच दिनों में करीब 20 लाख प्रवासी श्रमिकों की यात्रा संभव है।

बहरहाल, उन्होंने कहा कि राज्य मंजूरी नहीं दे रहे हैं, खासकर पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्य।

कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भी फंसे श्रमिकों को ले जाने के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने की खातिर राज्य सरकार से सहयोग मांगा है।

वह कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के दौरान वार्ता कर रहे थे।

शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया था कि वह फंसे श्रमिकों को घर तक पहुंचाने के लिए रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति नहीं दे रही है लेकिन राज्य ने आरोपों से इंकार किया और कहा कि छह हजार श्रमिक लौट चुके हैं और श्रमिकों को लेकर दस रेलगाड़ियां जल्द पहुंचने वाली हैं।

एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि महामारी से प्रवासी श्रमिक सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं क्योंकि उन्हें लॉकडाउन के लिए महज चार घंटे का नोटिस मिला।

उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर बैठक करने के बजाए सरकार को उन्हें बचाना चाहिए क्योंकि उनके पास घर लौटने के लिए सैकड़ों किलोमीटर चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण करीब 50 दिनों के लॉकडाउन में ‘‘हमें लगातार हृदय विदारक दृश्य देखने को मिल रहे हैं’’ जिसमें लोग बिना जूता-चप्पल पहने और भूखे पेट अपने घरों को लौट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, ट्रक के ऊपर बैठे लोग, रेलवे पटरियों पर चलते हुए घर लौटने वाले लोगों का कटकर मर जाना काफी चिंताजनक है।

श्रीनेत ने कहा, ‘‘हमारे प्रवासी श्रमिकों के साथ जो हो रहा है वह संभवत: हमारे समय की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है।’’

रेलवे ने कहा कि एक मई से इसने अभी तक 366 ‘श्रमिक विशेष’ रेलगाड़ियों का संचालन किया है और देश के विभिन्न हिस्से में फंसे करीब चार लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया है।

उन्होंने कहा कि इनमें से 287 रेलगाड़ियां अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं जबकि 79 रास्ते में हैं।

भारतीय रेल ने रविवार को कहा कि उसकी योजना 12 मई से चरणबद्ध तरीके से यात्री ट्रेन सेवाएं शुरू करने की है, और शुरुआत में चुनिंदा मार्गों पर 15 जोड़ी ट्रेनें (अप-एंड-डाउन मिलाकर 30 ट्रेनें) चलायी जाएंगी।

ये ट्रेनें विशेष ट्रेनों के रूप में नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलेंगी और डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू-तवी को जाएंगी।

कोविड-19 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण 25 मार्च से ही सभी यात्री ट्रेन सेवाएं बंद हैं।

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