जरुरी जानकारी | बिजली लागत बचाने के लिए सीमेंट कंपनियां वैकल्पिक स्रोतों में 1,700 करोड़ रुपये निवेश करेंगी: रिपोर्ट

रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एक मेगावाट के डब्ल्यूएचआरएस को स्थापित करने के लिए 8 से 10 करोड़ रुपये का खर्च आता है। वित्त वर्ष 2021 और 2022 में 175 मेगावाट वाले संयंत्र के निर्माण के लिए 1,400 से 1,700 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

इक्रा ने कहा कि हाल के वर्षों में घरेलू सीमेंट कंपनियां वैकल्पिक या नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश कर रही हैं।

कंपनियां ईंधन के आम स्रोतों जैसे कोयला के साथ साथ थर्मल बिजली उत्पादन के स्थान पर अब वैकल्पिक अथवा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश कर रही हैं। इससे उन्हें कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव को कम करने के अलावा और भी कई फायदे मिल रहे हैं।

एजेंसी के मुताबिक सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और डब्ल्यूएचआरएस जैसे नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग गति पकड़ रहा है और सबसे सस्ते स्रोतों में से एक के रूप में उभरा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि सीमेंट को तैयार करने के लिए ऊर्जा का इस्तेमाल होता है और एक सीमेंट कंपनी की कुल लागत का 25-28 प्रतिशत बिजली और ईंधन पर खर्च होती है।

इक्रा की प्रमुख अनुपमा रेड्डी ने कहा, “सीमेंट की निर्माण प्रक्रिया के दौरान उत्पादित गर्म गैसों का उपयोग करके बिजली पैदा की जाती है। डब्ल्यूएचआरएस अधिक लागत कुशल है और परिचालन लाभप्रदता बढ़ाने में मदद करता है।”

एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में श्री सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट, नुवोको विस्टास कॉर्पोरेशन, बिड़ला कॉर्पोरेशन, जेके सीमेंट, जेके लक्ष्मी, डालमिया भारत, द रैमको सीमेंट्स, एसीसी और अंबुजा सीमेंट ने मिलकर 520 मेगावाट का डब्ल्यूएचआरएस संयंत्र स्थापित किया है। यह उनकी कुल बिजली आवश्यकता में लगभग 16 प्रतिशत योगदान देता है।

जतिन

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