सीबीआई ने सलाहकार की नियुक्ति में नुकसान को लेकर टीटीपीएल के अधिकारियों पर मामला दर्ज किया
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केरल सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम त्रावणकोर टाइटेनियम प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीटीपीएल) के प्रबंध निदेशक और अन्य के खिलाफ ‘मेकॉन, रांची, उत्तरांचल’ को 2004 में सलाहकार के रूप में नियुक्त करने में कथित अनियमितताओं के कारण 120 करोड़ रुपये के नुकसान के मामले में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है।
नयी दिल्ली, 7 फरवरी : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केरल सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम त्रावणकोर टाइटेनियम प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीटीपीएल) के प्रबंध निदेशक और अन्य के खिलाफ ‘मेकॉन, रांची, उत्तरांचल’ को 2004 में सलाहकार के रूप में नियुक्त करने में कथित अनियमितताओं के कारण 120 करोड़ रुपये के नुकसान के मामले में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है.
हाल ही में दर्ज एफआईआर में टीटीपीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक ऐपेन जोसफ का भी नाम है. ‘मेकॉन, रांची, उत्तरांचल’ को एक प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र को स्थापित करने के लिए सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया था. सीबीआई ने आरोप लगाया कि जोसफ ने अपने पद का दुरुपयोग किया और तत्कालीन अधिकारियों - मुख्य प्रबंधक (विपणन) संतोष कुमार और कार्यकारी निदेशक ए एम भास्करन के साथ आपराधिक कदाचार किया.
केरल उच्च न्यायालय के निर्देश पर दायर मुकदमे में कहा गया कि उन्होंने (आरोपियों ने) कथित तौर पर इस्पात मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक उपक्रम ‘मेकॉन, रांची, उत्तरांचल’ को नौ करोड़ रुपये के शुल्क पर सलाहकार के रूप में नियुक्त किया. हालांकि, इस नियुक्ति के लिए 3.5 करोड़ रुपये पर सहमति बनी थी. प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में टीटीपीएल के एमडी को आरोपी नंबर एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन उनका नाम नहीं बताया गया है.
टीटीपीएल टैबलेट और पेलेट कोटिंग्स में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले टाइटेनियम डाइऑक्साइड का निर्माण करती है. इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में फेरस सल्फेट और सल्फ्यूरिक एसिड युक्त तरल अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसे अरब सागर में छोड़ा जाता है.
टीटीपीएल ने समस्या के समाधान के लिए 2003-04 में ‘मेटलर्जिकल एंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स (इंडिया) लिमिटेड (एमईसीओएन), रांची, उत्तरांचल’ को नियुक्त किया.
मेकॉन को एक बुनियादी परियोजना कार्यान्वयन दस्तावेज (बीपीआईडी), एक पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) रिपोर्ट और एक पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) तैयार करने के साथ-साथ इंजीनियरिंग परियोजना प्रबंधन और कार्यान्वयन भी करना था.अधिकारियों ने बताया कि मेकॉन द्वारा प्रस्तावित परियोजना की अनुमानित लागत पहले चरण के लिए 129 करोड़ रुपये और दूसरे चरण के लिए 126 करोड़ रुपये थी.
केरल उच्च न्यायालय ने नवंबर, 2023 के अपने आदेश में कहा था कि परियोजना लागत टीटीपीएल की कुल संपत्ति के मूल्य के दोगुनी से अधिक थी. अदालत ने पाया, “मेकॉन द्वारा प्रस्तावित प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं के लिए टाइटेनियम कंपनी (टीटीपीएल) द्वारा पहले ही 120 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके थे. लेकिन संयंत्र चालू नहीं हो सके.
इस बीच, मेकॉन ने जून, 2007 में टाइटेनियम कंपनी को सूचित किया कि चरण-1 और 2 के लिए परियोजना की कुल लागत बढ़कर 414 करोड़ रुपये (चरण-1 के लिए 225.8 करोड़ रुपये और चरण-2 के लिए 188.6 करोड़ रुपये) हो गई है. मेकॉन के माध्यम से संकल्पित और कार्यान्वित परियोजना से बिना किसी लाभ के 120 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.”
अदालत ने कहा, “प्रदूषण नियंत्रण परियोजना के पहले चरण के भाग को पूरा करने के लिए 160 करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरूरत थी. टाइटेनियम कंपनी इतना बड़ा अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाने में असमर्थ थी.” अपनी एफआईआर में सीबीआई ने आरोप लगाया कि मेकॉन ने वैश्विक निविदा आमंत्रित किए बिना फिनलैंड की कंपनी केमाटुर इकोप्लानिंग को 258 करोड़ रुपये का काम दिया.
इसने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की मंजूरी के बिना उच्चतम न्यायालय की निगरानी समिति के प्रावधानों का उल्लंघन किया और खतरनाक अपशिष्ट नियम 1989 का उल्लंघन किया. एजेंसी ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन गारंटी प्राप्त किए बिना केमाटुर को अग्रिम के रूप में 20 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. जोसफ और भास्करन को अपने लिए और उनका पक्ष लेने वालों के लिए अनुचित आर्थिक लाभ मिला.
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