देश की खबरें | पार्सल परिवहन में ‘बड़े पैमाने पर घूसखोरी’ के लिए सीबीआई ने रेल अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई में यार्ड और पार्सल विभाग में तैनात रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किये। अधिकारियों पर लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन पर पार्सल लेने और मूल्यवान पार्सल वैन की तैनाती की सुविधा देने के लिये बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी में लिप्त रहने का आरोप है ।

नयी दिल्ली, नौ नवंबर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई में यार्ड और पार्सल विभाग में तैनात रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किये। अधिकारियों पर लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्टेशन पर पार्सल लेने और मूल्यवान पार्सल वैन की तैनाती की सुविधा देने के लिये बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी में लिप्त रहने का आरोप है ।

रेलवे के सतर्कता ब्यूरो और सीबीआई की ओर से हाल ही में की गई संयुक्त औचक जांच के निष्कर्षों के आधार पर, एजेंसी ने 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया उनमें तत्कालीन मुख्य पार्सल सुपरवाइजर, चीफ यार्ड मास्टर तथा उप स्टेशन प्रबंधक (यार्ड) शामिल हैं । ये मुंबई के कुर्ला में लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर पार्सल और यार्ड विभाग में तैनात थे।

अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी को पता चला कि इन अधिकारियों ने रिश्वत लेने के लिये कथित तौर पर यूपीआई का इस्तेमाल किया, और अब तक दो मामलों में कुल 8 लाख रुपये तथा 5 लाख रुपये का भुगतान की जानकारी मिली है ।

भारतीय रेलवे दो प्रकार के पार्सल बुक करती है - एक पट्टाधारकों के माध्यम से जिन्हें एक निश्चित वजन तक पार्सल ले जाने की अनुमति होती है और दूसरे प्रकार के पार्सल जो सीधे बुक किए जाते हैं।

औचक जांच के दौरान, पार्सल के रख-रखाव में वजन और अन्य मुद्दों पर बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गईं, जिसके आधार पर तत्कालीन मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक (सामान्य) जनार्दन देशपांडे, मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक संजय घाडगे और एजेंट अर्जुन जयसवाल तथा सूर्यभान बी दीपांकर के खिलाफ पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि उनके मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि देशपांडे को कथित तौर पर एक अगस्त, 2022 से 23 जून, 2023 तक जायसवाल से 8.16 लाख रुपये मिले।

दूसरा मामला एक अन्य औचक जांच पर आधारित है जिसमें पाया गया कि यार्ड विभाग के अधिकारी निजी एजेंटों से नकद के तौर पर और यार्ड में तैनात पॉइंट्समैन के खातों में यूपीआई भुगतान के माध्यम से रिश्वत ले रहे थे।

सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, ‘‘यह भी आरोप है कि टर्मिनस पर वीपीयू वैगनों की नियुक्ति की सुविधा के लिए रिश्वत दी गई थी। यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने एजेंटों से रिश्वत प्राप्त की और उनमें से एक हिस्सा अपने वरिष्ठों को दिया।’’

एजेंसी ने वरिष्ठ यार्ड मास्टर प्रणय मुकुंद, उप स्टेशन प्रबंधक गिरधारी लाल सैनी, जयंत मौर्य और प्रदीप गौतम, शंटिंग प्रबंधक मिठाई लाल यादव और राकेश करांदे, मुख्य यार्ड मास्टर कार्यालय के प्वाइंट्समैन मिथिलेश कुमार और रुनजीत राज के अलावा एजेंट रामदीप गिरि और दीपांकर को नामजद किया है। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि मुंबई के आसपास आठ स्थानों पर तलाशी ली गई।

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