मुंबई, 11 अप्रैल यहां की एक विशेष अदालत ने अब तक की जांच की प्रगति और आरोपियों के खिलाफ आरोपों की प्रकृति का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे और दो अन्य आरोपियों की सीबीआई हिरासत 16 अप्रैल तक बढ़ा दी।
देशमुख, उनके दो पूर्व सहयोगियों - संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे - और वाजे को हिरासत अवधि समाप्त होने पर विशेष सीबीआई न्यायाधीश डी पी सिंघाडे के समक्ष पेश किया गया था। जांच एजेंसी ने मामले की आगे की जांच के लिए उनकी हिरासत की जरूरत बताते हुए पांच दिन की और रिमांड मांगी थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा कि (पिछली) हिरासत की अवधि के दौरान, आरोपियों से लंबी पूछताछ की गई और मामले में गवाहों के अलावा एक-दूसरे से आमना-सामना कराया गया।
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रतनदीप सिंह ने अदालत को बताया कि आरोपी व्यक्ति हालांकि अभी तक मामले में पूरी सच्चाई के साथ सामने नहीं आए हैं और वे ज्यादातर अपने खिलाफ आरोपों के जवाब में टालमटोल करते रहे हैं।
अधिवक्ता अनिकेत निकम और इंद्रपाल सिंह के साथ देशमुख की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने सीबीआई की रिमांड बढ़ाने की याचिका का विरोध किया और कहा कि “पूरी तरह से अराजकता” व्याप्त है।
चौधरी ने तर्क दिया, “एफआईआर (मामले में) 22 अप्रैल 2021 को दर्ज की गई थी। एक साल बीत चुका है। उन्होंने धारा 41 ए (सीआरपीसी की) के तहत एक नोटिस जारी किया जो गिरफ्तारी का कोई इरादा नहीं होने पर किया जाता है। क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता थी?”
दोनों पक्षों की ओर से पेश की गई व्यापक दलीलों को सुनने के बाद, अदालत ने और हिरासत की मांग के लिए उद्धृत आधारों पर संतोष व्यक्त किया।
अदालत ने कहा, “अब तक की जांच की प्रगति और प्राथमिकी में आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, यह अदालत संतुष्ट है कि सीबीआई हिरासत को और बढ़ाने के आधार संतोषजनक हैं।”
न्यायाधीश ने कहा, “इसलिए, आरोपी व्यक्तियों को आगे की जांच के लिए सीबीआई हिरासत में भेजने की आवश्यकता है, जैसा कि प्रार्थना की गई थी।”
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