देश की खबरें | सामान्य तरीके से छूना पॉक्सो कानून के तहत ‘पेनिट्रेटिव’ यौन अपराध नहीं: दिल्ली उच्च न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सामान्य तरीके से स्पर्श करने को ‘पेनिट्रेटिव’ यौन अपराध करने के लिए किसी नाबालिग के शरीर से छेड़छाड़ नहीं माना जा सकता है।

नयी दिल्ली, छह नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सामान्य तरीके से स्पर्श करने को ‘पेनिट्रेटिव’ यौन अपराध करने के लिए किसी नाबालिग के शरीर से छेड़छाड़ नहीं माना जा सकता है।

न्यायमूर्ति अमित बंसल ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत छूना एक अलग अपराध है।

उन्होंने आरोपी को उसके शिक्षक भाई से ट्यूशन पढ़ने वाली छह साल की बच्ची के निजी अंग को छूने पर ‘एग्रेवेटिड पेनट्रेटिव’ यौन अपराध का दोषी ठहराये जाने के फैसले को बरकरार रखने से इनकार कर दिया।

हालांकि न्यायाधीश ने कानून के तहत ‘एग्रेवेटिड’ यौन अपराध के लिए व्यक्ति को दोषी ठहराये जाने तथा पांच साल कैद की सजा सुनाये जाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

अदालत ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दोषी की अपील को निपटाते हुए कहा, ‘‘पॉक्सो अधिनियम की धारा 3 (सी) के अवलोकन से पता चलता है कि पेनिट्रेटिव यौन अपराध के लिए आरोपी को पेनिट्रेशन के लिए बच्ची के शरीर के किसी अंग से छेड़छाड़ करनी होती।’’

आदेश में कहा गया, ‘‘स्पर्श करने के सामान्य कृत्य को कानून की धारा 3 (सी) के तहत छेड़छाड़ करने वाला नहीं समझा जा सकता। पॉक्सो कानून की धारा 7 के तहत यह गौर करना प्रासंगिक होगा कि ‘स्पर्श करना’ एक अलग अपराध है।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\