
नयी दिल्ली, 16 फरवरी सस्टेनेबल कैस्टर एसोसिएशन (एससीए) के निदेशक अभय उदेशी ने कहा है कि भारत का अरंडी तेल निर्यात बढ़ रहा है, और इस जिंस की खेती में टिकाऊ मानकों को बढ़ावा देने से 2030 तक निर्यात को 2.5 अरब डॉलर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वे किसानों के बीच ‘सक्सेस कोड’ की स्वीकार्यता को बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता को बहाल करने में मदद मिल सकती है।
‘सक्सेस कोड’ अरंडी की खेती के लिए एक स्वतंत्र रूप से ऑडिट योग्य कोड है जिसका उद्देश्य स्थिरता में सुधार करना है।
जयंत एग्रो के चेयरमैन उदेशी ने कहा, “वैश्विक बाजार में अरंडी के तेल की भारी मांग है। हम 2030 तक 2.5 अरब डॉलर के निर्यात की उम्मीद कर रहे हैं। इन कोड के इस्तेमाल से किसानों को उत्पादन और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
अरंडी के तेल का उपयोग पेंट, वार्निश, रेजिन और प्लास्टिसाइज़र सहित कई औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान भारत से अरंडी के तेल का निर्यात 6,195.54 करोड़ रुपये (करीब 71.5 करोड़ डॉलर) रहा है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में यह 8,055.12 करोड़ रुपये (करीब एक अरब डॉलर) था। अरंडी के प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात और राजस्थान हैं।
प्रमुख निर्यात गंतव्यों में चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, मेक्सिको, रूस और सिंगापुर शामिल हैं।
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