नयी दिल्ली, 22 मार्च राज्यसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान गिर के एशियाई सिंहों की रेल की पटरियों पर होने वाली मौतों और हिमालयी क्षेत्रों में जारी विकास कार्यों से पर्यावरण पर हो रहे असर पर चिंता जताई गई। साथ ही कुछ सदस्यों ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के प्रावधानों को ठीक तरीके से लागू नहीं किए जाने का मुद्दा भी उठाया।
कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने गुजरात के अमरेली जिले में स्थित गिर वन क्षेत्र के रेल की पटरियों के आसपास घूमने वाले एशियाई सिंह की रेल दुर्घटना में होने वाली मौतों का मामला उठाया और उन्हें बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
एशियाई सिंह को धरोहर बताते हुए उन्होंने कहा कि यह ना सिर्फ गिर वन क्षेत्र की पहचान हैं बल्कि गुजरात के गौरव भी हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में 193 एशियाई सिंह की रेल की पटरियों पर दुर्घटना से मौतें हुई जबकि वर्ष 2019 में इसी प्रकार 200 शेर मारे गए।
उन्होंने कहा, ‘‘ये दुर्घटनाएं नहीं होती तो शेरों की संख्या में अब तक 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई होती। एशियाई शेरों को दुर्घटना से बचाने के लिए उचित प्रबंध किए जाने चाहिए।’’
समाजवादी पार्टी के रेवती रमन सिंह ने हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों पर रोक लगाए जाने की मांग की।
शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हिमालयी क्षेत्र हमारी संस्कृति का प्रतीक है लेकिन इसका व्यवसायीकरण किया जा रहा है। पहाड़ों पर अंधाधुंध विस्फोट किए जा रहे हैं। अभी आठ नए बांध बना जा रहे हैं। सड़कों के चौड़ीकरण के लिए एक लाख तक पेड़ों को काटा गया है और इन पेड़ों को पुन: लगाया नहीं जाएगा।’’
उन्होंने केदारनाथ त्रासदी और हाल ही ऋषि गंगा में आई त्रासदी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में जो भी काम हो रहे हैं, उनपर तत्काल रोक लगाई जाए।
राजस्थान से कांग्रेस के सदस्य नीरज डांगी ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा की परीक्षाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित सीटों को ना भरे जाने पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि इस बार सिविल सेवा के जो परिणाम आए हैं उसके मुताबिक कुल 927 में से 918 पदों पर नियुक्ति की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘इनमें 139 पद एससी (अनुसूचित जाति)और 69 पद एसटी (अनुसूचित जनजाति)के थे। एससी के 130 और एसटी के 67 पदों पर नियुक्ति की गई है। इसके बाद सरकार की ओर से लेटेरल एंट्री (सीधे भर्ती)के जरिए नियुक्ति के लिए 10 पद निकाले गए लेकिन इनमें आरक्षित सीटों का उल्लेख नहीं है। यह एससी और एसटी अभ्यर्थियों को वंचित करने का प्रयास है।’’
उन्होंने सिविल सेवा परीक्षाओं में आरक्षण सुनिश्चित करने की मांग की।
बिहार से भाजपा के रामनाथ ठाकुर ने केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित पदों पर रिक्तियों का मुद्दा उठाया और आग्रह किया कि एक विशेष अभियान चलाकर इन पदों पर नियुक्तियां की जाए।
उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा, ‘‘एक मार्च 2020 तक केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में ओबीसी के 20,444 पदों में से 10,859 पद खाली हैं। लगभग 50 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। सरकार को एक विशेष अभियान चलाकर इन रिक्तियों को भरना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को भी रिक्त पदों को भरने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए तभी समाज के इस वंचित समुदाय के लोगों के साथ न्याय हो सकेगा।
हरियाणा से भाजपा के सदस्य राचंदर जांगरा ने ओबीसी आयोग की तर्ज पर राज्यों में ओबीसी आयोग का गठन करने और उन्हें संवैधानिक दर्जा दिए जाने की मांग उठाई।
छत्तीसगढ़ से भाजपा के सदस्य रामविचार नेताम और आंध्र प्रदेश से तेलुगु देशम के के रवींद्र कुमार ने अपने-अपने राज्यों में प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन को लेकर सवाल उठाए।
झारखंड से भाजपा के सदस्य महेश पोद्दार ने स्टील रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ इंडिया (एसआरटीएमआई) का मुख्यालय रांची में खोले जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यालय के लिए रांची सबसे उपयुक्त स्थान है।
बीजू जनता दल की ममता मंहत ने मयूरभंज जिले में एक नवोदय विद्यालय और खोले जाने की मांग की।
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