नयी दिल्ली, 10 अगस्त सुपरस्टार आमिर खान का कहना है कि ‘लापता लेडीज’ फिल्म बनाने का उनका फैसला इस अहसास पर आधारित है कि वह हर रोचक कहानी में अभिनय नहीं कर सकते और अब वह उभरते कलाकारों के लिए मौका पैदा करना चाहते हैं।
किरण राव निर्देशित यह फिल्म शुक्रवार शाम में यहां उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों, उनके परिवारों और अधिकारियों को दिखायी गयी। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने खान एवं राव का स्वागत किया।
फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद के सत्र को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनके पास अपने करियर के बारे में सोचने के लिए काफी वक्त था।
अभिनेता ने कहा, ‘‘मैं उस समय 56 वर्ष का था तथा मुझे लगा कि मेरे पास सक्रिय काम के लिए 15 साल और बचे हैं। मैं 70 वर्ष की आयु तक काम करूंगा, कौन जानता है कि उसके बाद क्या होगा?’’
खान ने कहा कि ‘लापता लेडीज’ पहली परियोजना है जिसे उन्होंने नई प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करने के विचार से बनाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं इस बारे में सोच रहा था, तो मैंने सोचा, एक अभिनेता के रूप में, तीन वर्षों में मेरी एक फ़िल्म रिलीज हुई। इसलिए, पिछले कई वर्षों में मैंने जो कुछ भी सीखा है, मैं उसे लोगों को वापस देना चाहता था क्योंकि उद्योग, समाज और देश ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैंने सोचा कि मैं एक अभिनेता के रूप में एक वर्ष में एक फ़िल्म कर सकता हूं, लेकिन एक निर्माता के रूप में, मैं कई और फिल्में बना सकता हूं।’’
अभिनेता ने कहा, ‘‘मैं ऐसी कहानियां सामने लाना चाहता हूं जो मेरे दिल को छू ले। मैं सभी फिल्मों में अभिनय नहीं कर पाऊंगा लेकिन मैं उनका निर्माण कर सकता हूं। मैं नई प्रतिभाओं को एक मंच देना चाहता हूं। मैं नए लेखकों, निर्देशकों, कलाकारों और अन्य लोगों के लिए एक मंच बनना चाहता हूं। इसलिए, 'लापता लेडीज' इस मायने में पहली परियोजना है। मैं इस तरह की प्रतिभा को बढ़ावा देना चाहता हूं।’’
उन्होंने कहा कि उनका इरादा साल में चार से पांच फिल्में बनाने का है।
"लापता लेडीज़" ग्रामीण भारत की दो दुल्हनों की दिल को छू लेने वाली और सशक्त कहानी है, जिनकी ट्रेन में यात्रा के दौरान गलती से अदला-बदली हो जाती है।
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