देश की खबरें | कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीरभूम हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए, टीएमसी ने सवाल उठाए

कोलकाता, 25 मार्च बीरभूम की हिंसा को समाज की चेतना को झकझोर देने वाला बताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सीबीआई को राज्य पुलिस से मामले की जांच अपने हाथ में लेने और सुनवाई की अगली तारीख पर प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

अदालत ने बुधवार को मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने कहा कि तथ्य और परिस्थितियों की मांग है कि न्याय के हित और समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जाए।

कोलकाता उच्च न्यायालय के फैसले का विपक्षी दलों ने स्वागत किया और आरोप लगाया कि राज्य पुलिस, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर काम कर रही है तथा इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है।

तृणमूल कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार के मातहत काम कर रही एजेंसी पर निष्पक्ष जांच को लेकर भरोसा किया जा सकता है। उसने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी विपक्षी दलों को घेरने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल करती रही है।

ममता बनर्जी के अगुवाई वाली पार्टी ने कहा कि सीबीआई को जांच में पूरा सहयोग दिया जाएगा लेकिन अगर भगवा पार्टी ने टीएमसी नेताओं को प्रताड़ित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया तो व्यापक पैमाने पर आंदोलन होंगे।

गौरतलब है कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट कस्बे के पास बोगतुई गांव में मंगलवार को तड़के कुछ मकानों में कथित तौर पर आग लगा देने से दो बच्चों सहित आठ लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी। माना जा रहा है कि यह घटना सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पंचायत अधिकारी की हत्या के प्रतिशोध स्वरूप हुई थी।

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम सीबीआई को निर्देश देते हैं कि वह मामले की जांच तुरंत अपने हाथ में ले और सुनवाई की अगली तारीख पर प्रगति रिपोर्ट हमारे सामने पेश करे।’’ इस मामले पर अब सात अप्रैल को सुनवाई होगी।

पीठ ने इस घटना के ‘‘देशव्यापी प्रभाव’’ को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार से केंद्रीय एजेंसी को पूर्ण सहयोग देने को कहा।

राज्य पुलिस या सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को इस मामले में आगे कोई जांच नहीं करने का निर्देश देते हुए, पीठ ने आदेश दिया कि पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा सभी दस्तावेजों के साथ-साथ मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों और संदिग्धों को केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया जाए।

पीठ ने मामले की केस डायरी की बारीकी से जांच करने के बाद कहा कि उसने पाया है कि 22 मार्च को एसआईटी का गठन किया गया था, लेकिन अब तक जांच में एसआईटी का कोई प्रभावी योगदान नहीं नजर आया है।

बहरहाल, अदालत ने एसआईटी जांच में कमियों का ब्योरा नहीं दिया।

स्वत: संज्ञान लिए गए मामले के अलावा, एक स्वतंत्र एजेंसी को जांच के आदेश के अनुरोध वाली पांच जनहित याचिकाओं पर अदालत ने सुनवाई की। पीठ ने बुधवार को केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल), दिल्ली को बोगतुई गांव में जघन्य अपराध की जगह से फॉरेंसिक जांच के लिए नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया था। सीएफएसएल के एक दल ने शुक्रवार को आग लगने की घटना में जलकर खाक हुए घरों का शुक्रवार को दौरा किया।

भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख सुकांता मजूमदार ने कहा, ‘‘हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। केवल सीबीआई जांच के जरिए ही सच सामने आ सकता है, क्योंकि पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट के तौर पर काम कर रही है और मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है।’’

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने उम्मीद जतायी कि राज्य पुलिस ने पिछले तीन दिनों में ‘‘सभी सबूतों को नष्ट नहीं किया होगा।’’

माकपा के नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी कहा कि उनकी पार्टी को उम्मीद है कि सीबीआई निष्पक्ष जांच करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ हम चाहते हैं कि बीरभूम जिले के एक गांव में हुई कथित हिंसा के मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच हो। राज्य सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है।’’

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि राज्य सरकार ने सच्चाई सामने लाने की अभी तक पूरी कोशिश की है।

उन्होंने दावा किया कि सीबीआई का पिछला इतिहास मामलों को सुलझाने में उसकी नाकामी की गवाही देता है और वह विपक्षी दलों को घेरने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है।

टीएमसी नेता ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि सत्तारूढ़ पार्टी ने विपक्षी दलों को घेरने के लिए कैसे सीबीआई का इस्तेमाल किया है। इसलिए हमें नहीं लगता कि सीबीआई एक निष्पक्ष एजेंसी है। अगर भाजपा हमारे नेताओं के उत्पीड़न के लिए सीबीआई जांच का इस्तेमाल करने की कोशिश करती है तो व्यापक पैमाने पर आंदोलन होंगे।’’

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