ताजा खबरें | लोकसभा में बॉयलर विधेयक पेश ; विपक्षी सदस्यों ने जेपीसी गठित करने की मांग की
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बॉयलर का विनियमन सुनिश्चित करने, इससे जुड़े सुरक्षा पहलुओं के अलावा पंजीकरण और निरीक्षण में एकरूपता लाने से संबंधित बॉयलर विधेयक, 2024 मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। हालांकि, कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पर सर्वदलीय सहमति लेने और अध्ययन के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग की।

नयी दिल्ली, 25 मार्च वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बॉयलर का विनियमन सुनिश्चित करने, इससे जुड़े सुरक्षा पहलुओं के अलावा पंजीकरण और निरीक्षण में एकरूपता लाने से संबंधित बॉयलर विधेयक, 2024 मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। हालांकि, कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पर सर्वदलीय सहमति लेने और अध्ययन के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग की।
बॉयलर विधेयक, 2024, संसद के निचले सदन में पारित होने के बाद एक सौ साल पुराने कानून की जगह लेगा। विधेयक को पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा ने पारित कर दिया था।
लोकसभा में यह विधेयक प्रस्तुत करते हुए गोयल ने कहा, ‘‘भाप बॉयलर के विस्फोट के खतरे से लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा देश में इसके विनिर्माण, स्थापना और उपयोग के दौरान पंजीकरण और निरीक्षण में एकरूपता लाने से संबद्ध विधेयक, जिसे राज्यसभा पारित कर चुकी है, (निचले) सदन के विचारार्थ प्रस्तुत करता हूं।’’
विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए समाजवादी पार्टी के आनंद भदौरिया ने कहा, ‘‘इस पर सर्वदलीय सहमति ली जानी चाहिए, अच्छा होगा कि जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) का गठन किया जाए क्योंकि यह विधेयक श्रमिकों और छोटे उद्यमियों से जुड़ा हुआ है।’’
उन्होंने इस विधेयक के माध्यम से इंस्पेक्टरों को मनमानी की छूट दिये जाने का आरोप लगाते हुए सवाल किया, ‘‘क्या सरकार फिर ‘इंस्पेक्टर राज’ लागू करना चाहती है।’’ उन्होंने विधेयक में संशोधन कर निरीक्षकों की मनमानी पर लगाम लगाने की व्यवस्था करने की मांग की।
सपा सांसद ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार की मंशा बड़े उद्योगपति, मित्र उद्योगपति और विदेशी मित्र निवेशकों की मदद कर छोटे और मझोले उद्योगों का गला घोंटना है।’’
उन्होंने बड़े उद्योगों के लिए जुर्माने की राशि और सजा की अवधि बढ़ाने की भी मांग की।
कांग्रेस के कल्याण काले ने कहा कि विधेयक में कुछ अस्पष्टता है और औद्योगिक क्षेत्र में बॉयलर की सुरक्षा और पंजीकरण नवीनीकरण की समय सीमा पर स्पष्टता लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक में मौजूद कमियों को दूर करने के लिए सभी पक्षों से चर्चा करने की जरूरत है। विधेयक को कुछ दिन के लिए रोककर रखा जाए, सभी दलों के सांसदों की राय ली जाए और उसके बाद यह विधेयक लाया जाए।’’
काले ने कहा कि विधेयक में, बॉयलर से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक बॉयलर से होने वाला प्रदषूण पर्यावरण से जुड़ा एक एक बड़ा मुद्दा है, इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पहले निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के फैसले को जिलाधिकारी के पास भी जाकर चुनौती दी जा सकती थी लेकिन अब उच्च न्यायालय के सिवाय कहीं और अपील नहीं कर सकने का प्रावधान किया गया है, जिसपर फिर से विचार करने की जरूरत है।
भाजपा के राजकुमार चाहर ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि बॉयलर की सुरक्षा के लिए हर वर्ष पंजीकरण की आवश्यकता का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक के कानून का रूप लेने पर बॉयलर में होने वाले विस्फोटों में कमी आएगी।
उन्होंने कहा कि नये विधेयक में 1923 के अप्रचलित व अनावश्यक प्रावधान को हटा दिया गया है। एक केंद्रीय बॉयलर बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है जो केंद्र और राज्य के बीच पारस्परिक समन्वय सुनिश्चित करेगा।
हालांकि, चाहर ने यह भी कहा कि ‘फ्लाई ऐश’ (राख) के निपटारे के लिए विधेयक में व्यापक प्रावधान करने की जरूरत है।
विधेयक में विभिन्न प्रावधानों के अनुरूप, नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति, नियम बनाने की बोर्ड की शक्ति, और नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्ति को विस्तार से सूचीबद्ध किया गया है।
बॉयलर अधिनियम, 1923 को वर्ष 2007 में भारतीय बॉयलर (संशोधन) अधिनियम, 2007 के माध्यम से संशोधित किया गया था, जिसमें स्वतंत्र तृतीय पक्ष निरीक्षण प्राधिकरणों द्वारा निरीक्षण और प्रमाणन की शुरुआत हुई थी।
नए विधेयक में अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधानों को हटा दिया गया है तथा नियमों और विनियमों के लिए कुछ सक्षम प्रावधान किए गए हैं, जो पहले मौजूद नहीं थे। कुछ नयी परिएं भी शामिल की गई हैं और कुछ मौजूदा परिओं में संशोधन किया गया है, ताकि विधेयक के प्रावधानों को और अधिक स्पष्ट बनाया जा सके।
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