ब्लिंकन ने इजराइल पर गाजा में युद्ध के बाद की योजना को लागू करने के लिए दबाव बनाया

पिछले साल अक्टूबर में इजराइल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से अपने आठवें और हालिया पश्चिमी एशिया दौरे पर पहुंचे ब्लिंकन ने प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए काहिरा में मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल फतेह अल-सिसी से बातचीत करने के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट से मुलाकात की.

Antony Blinken (img: Wikimedia commons)

पिछले साल अक्टूबर में इजराइल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से अपने आठवें और हालिया पश्चिमी एशिया दौरे पर पहुंचे ब्लिंकन ने प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए काहिरा में मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल फतेह अल-सिसी से बातचीत करने के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट से मुलाकात की. इजराइल द्वारा बंधकों की रिहाई के लिए अभियान चलाये जाने के बाद प्रस्ताव को लागू करने में नयी अड़चनें आ रही हैं. इजराइल के अभियान में कई फलस्तीनी मारे गये हैं और नेतन्याहू की सरकार में उथल-पुथल मच गयी है. विदेश विभाग ने बताया, ''ब्लिंकन ने नेतन्याहू से कहा कि अमेरिका और दुनिया के अन्य नेता राष्ट्रपति बाइडन द्वारा तैयार किये गये इस संघर्ष विराम प्रस्ताव का समर्थन करेंगे. यह प्रस्ताव गाजा में तुरंत संघर्षविराम, सभी बंधकों की रिहाई और पूरे गाजा में मानवीय सहायता वितरण में वृद्धि का सूत्रधार बनेगा.''

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अमेरिका समर्थित संघर्ष विराम प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद हमास ने कहा कि वह प्रस्ताव का स्वागत करता है और इसे लागू करने के लिए इजराइल के साथ सीधी बातचीत न कर मध्यस्थों के साथ कार्य करने के लिए तैयार है. हमास की ओर से जारी यह बयान अब तक दिए गए सबसे कड़े बयानों में से एक था. हमास ने बयान में इस बात पर जोर दिया है कि चरमपंथी समूह इजराइल के कब्जे को समाप्त करने के लिए वह 'अपना संघर्ष' जारी रखेगा और ‘‘फलस्तीन को पूर्णतया संप्रभु देश बनाने के लिए काम करता रहेगा’’. यह भी पढ़ें : संरा सुरक्षा परिषद ने गाजा में इजराइल-हमास के बीच संघर्ष विराम प्रस्ताव को मंजूरी दी

हालांकि चरमपंथी समूह ने औपचारिक रूप से इस प्रस्ताव पर कोई टिप्पणी नहीं की. हमास को 10 दिन पहले यह प्रस्ताव प्राप्त हुआ था. ब्लिंकन ने हमास से इसे स्वीकार करने का फिर से आग्रह किया है और कहा कि प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त है और इजराइल इसे स्वीकार कर चुका है. हालांकि नेतन्याहू ने इसे लेकर संशय जताया है.

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