बेंगलुरु: बीजेपी और जेडीएस ने अपने विलय की खबरों को किया खारिज, कहा- राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण होने की संभावना
बीजेपी और जनता दल (सेक्युलर) ने अपने विलय की खबरों को रविवार को खारिज कर दिया. दरअसल, भगवा पार्टी के एक नेता ने कहा था कि राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण होने की संभावना है, जिससे दोनों दलों के एक दूसरे के साथ आने के बारे में अटकलें लगाई जाने लगी थी. मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी ने इस बारे में मीडिया में आई खबरों को काल्पनिक बताया.
बेंगलुरु, 21 दिसंबर: बीजेपी (BJP) और जनता दल (सेक्युलर) ने अपने विलय की खबरों को रविवार को खारिज कर दिया. दरअसल, भगवा पार्टी के एक नेता ने कहा था कि राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण होने की संभावना है, जिससे दोनों दलों के एक दूसरे के साथ आने के बारे में अटकलें लगाई जाने लगी थी. मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी ने इस बारे में मीडिया में आई खबरों को काल्पनिक बताया. इससे पहले, प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष अरविंद लिम्बावली ने राज्य में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों के बारे में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि देश में आने वाले दिनों में धुव्रीकरण तेज होने जा रहा है. मोदी की लहर और बीजेपी की लहर साफ-साफ दिख रही है."
उन्होंने कहा, "मुझे पक्का यकीन है कि इसी तरह का ध्रुवीकरण कर्नाटक में भी होगा." यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों पार्टियों के विलय की कोई संभावना है, उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में खबरें सुनी हैं और इस विषय के बारे में पता करने की कोशिश करेंगे. उनकी टिप्पणी से मीडिया के एक हिस्से में यह कयास लगाए जाने लगे कि मकर सक्रांति के बाद फरवरी में यह विलय हो सकता है और अप्रैल में नेतृत्व परिवर्तन होगा, जिसकी कमान कुमारस्वामी संभालेंगे.
यह भी पढ़ें: Farmers Protest: हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का बड़ा बयान, कहा- अगर MSP खत्म हुई तो छोड़ दूंगा राजनीति
मुख्यमंत्री ने एक बयान में इन खबरों को खारिज करते हुए उन्हें सरासर झूठ करार दिया. उन्होंने कहा, "जद(एस) विधायक बीजेपी में शामिल होंगे या जद (एस) का बीजेपी में विलय होने संबंधी भ्रामक खबरें सरासर झूठी हैं. ऐसा कुछ नहीं है. येदियुरप्पा ने कहा कि जद (एस) ने विधान परिषद अध्यक्ष को उनके पद से हटाने के मुद्दे पर ही सिर्फ समर्थन दिया था. उन्होंने कहा कि जद(एस) ने गोहत्या-रोधी विधेयक लाए जाने पर बीजेपी का समर्थन नहीं किया, जिस कारण सरकार को अध्यादेश का सहारा लेना पड़ा. कुमारस्वामी ने भी सिलसिलेवार ट्वीट कर विलय की खबरों को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, "मैं जद(एस) के लिए स्थिति स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दूसरी पार्टी में विलय करने के जरिए आत्महत्या करने की नौबत अभी नहीं आई है." उन्होंने ट्वीट किया, "मैं भविष्य में भी ऐसी स्थिति पैदा होते नहीं देख पा रहा हूं." कुमारस्वामी ने कहा, "यदि आने वाले दिनों में जनहित में जरूरत पड़ी तो अधिक से अधिक हम मुद्दा आधारित समर्थन दे सकते हैं. इस बारे में किसी काल्पनिक खबर को महत्व दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है."
उल्लेखनीय है कि बीजेपी और जद (एस) ने 2006 में गठबंधन सरकार बनाई थी. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे और येदियुरप्पा उपमुख्यमंत्री बने थे. दोनों दलों के बीच 20-20 महीने की सत्ता साझेदारी फार्मूला के तहत यह सरकार बनी थी. लेकिन बाद में जद (एस) ने बीजेपी को सत्ता हस्तांतरित नहीं की, जिसके चलते यह सरकार गिर गई थी. बीजेपी, हाल ही में विधान परिषद में कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक ,2020 जद(एस) की मदद से पारित कराने में सफल रही है. हालांकि, जद (एस) ने शुरूआत में विधेयक का विरोध करते हुए इसे किसान विरोधी बताया था.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)