नयी दिल्ली, सात अगस्त राज्यसभा में बीजू जनता दल (बीजद) के एक सदस्य ने ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रस्तावित निजीकरण का मुद्दा उठाया और इस पर रोक लगाने की मांग की।
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान बीजद के निरंजन बिशी ने कहा कि यह हवाई अड्डा 17 अप्रैल 1962 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था और 30 अक्टूबर, 2013 को इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्रदान किया गया था।
उन्होंने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भारत और विदेशों में 24 गंतव्यों के लिए प्रतिदिन 43 उड़ानें संचालित की जा रही हैं और हर साल तकरीबन 46 लाख लोग यात्रा करते हैं।
बीजद सदस्य ने कहा कि इस हवाई अड्डे का लाभ भी 35 प्रतिशत तक बढ़ा है और यह देश के उन हवाई अड्डों में शुमार है जो फायदे में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका निजीकरण बड़ी चिंता का विषय है। इसके लिए राज्य सरकार से परामर्श नहीं किया गया। राज्य सरकार ने अपनी सहमति नहीं दी है और ओडिशा के लोगों ने अपनी सहमति नहीं दी है। निजीकरण से उड़ीसा के लोगों, विशेषकर इस अनुसूचित जनजाति बहुल राज्य के लोगों को परेशानी होगी और उन्हें रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मांग करता हूं कि सरकार ओडिशा के लोगों के व्यापक हित में इस हवाई अड्डे के निजीकरण को रोके।’’
कांग्रेस की रंजीता रंजन ने विकास के नाम पर प्रकृति और हिमालयी क्षेत्रों के दोहन पर चिंता जताई और कहा कि भूस्खलन की बढ़ती घटनाएं, जंगलों में आग और हिमालय क्षेत्र में मिट्टी का घसान इसके परिणाम हैं।
उन्होंने केदारनाथ घाटी में आई बाढ़, जोशीमठ में मकानों के धंसने और उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग तथा हाल ही में केरल के वायनाड में हुई घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह सब जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण नहीं हुई हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सब मानव जनित आपदाएं हैं। इसके बारे में हम सबको गंभीरता से चिंता करनी चाहिए।’’
उन्होंने उत्तराखंड की चार धाम परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि ओर कहा कि इसके निर्माण के दौरान पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि इसमें गंगा नदी के उद्गम से सटा 100 किलोमीटर का मार्ग भी है जहां 6500 देवदार के पेड़ों को काटने की साजिश हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पहले हिमालय को बचाना है। हिमालय का बाजारीकरण नहीं करना है। यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है।’’
रंजन ने सरकार से आग्रह किया कि इस विषय पर सदन में विस्तृत् चर्चा की जानी चाहिए।
कांग्रेस के ही शक्ति सिंह गोहिल ने विदेशों में भारतीय बच्चों को वहां के पालन पोषण देखरेख केंद्रों(फोस्टर केयर) में रखने का मुद्दा उठाया।
उन्होंने जर्मनी में रह रहे गुजरात के एक जैन परिवार की दास्तान सुनाई, जिनकी नौ महीने की बेटी को सिर्फ जर्मन सरकार द्वारा संचालित एक फोस्टर केयर में रख दिया गया जो कि अब तीन साल की हो गई है।
गोहिल ने बताया कि बच्ची को नहलाने के दौरान हल्की चोट लग गई, माता-पिता उसे अस्पताल लेकर गए लेकिन उन्हें पुलिस के पास भेज दिया गया।
उन्होंने कहा कि पुलिस को कुछ गलत नहीं मिला लेकिन फिर भी जर्मनी की सरकार ने बच्ची को यह कहते हुए फोस्टर केयर में भेज दिया कि वह बच्चे की ठीक से परवरिश करने में असमर्थ हैं।
उन्होंने कहा कि जर्मनी के फोस्टर केयर में रखे जाने से सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह जर्मन सीखेगी और वहां की संस्कृति में पलेगी।
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